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झुंझुनू

Lok Sabha Election 2024 : अयूब बने राजस्थान के पहले और आखिरी मुस्लिम सांसद, जानें पूरा मामला

RJ Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव में जनप्रतिनिधियों के साथ एक ऐसे वीर की चर्चा जरूर होती है, जो सांसद बनने से पहले पूरे भारत में लोकप्रिय हो गए थे। भारत के साथ पड़ौसी देश पाकिस्तान में उनको इंडियन अयूब के नाम से जाना जाता था। झुंझुनूं के नूआं गांव में कायमखानी परिवार में जन्मे अयूब खान 1950 से 82 तक सेना में रहे।

झुंझुनूApr 09, 2024 / 12:09 pm

जमील खान

Mohammed Ayub Khan

LOk Sabha Election 2024 : अयूब बने राजस्थान के पहले और आखिरी मुस्लिम सांसद, जानें पूरा मामला

RJ Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव में जनप्रतिनिधियों के साथ एक ऐसे वीर की चर्चा जरूर होती है, जो सांसद बनने से पहले पूरे भारत में लोकप्रिय हो गए थे। भारत के साथ पड़ौसी देश पाकिस्तान में उनको इंडियन अयूब के नाम से जाना जाता था। झुंझुनूं के नूआं गांव में कायमखानी परिवार में जन्मे अयूब खान 1950 से 82 तक सेना में रहे। वे राजस्थान के पहले मुस्लिम लोकसभा सदस्य थे। झुंझुनूं के पहले मंत्री बने। उनके प्रचार में खुद प्रधानमंत्री राजीव गांधी व सोनिया गांधी झुंझुनूं आए थे। वे 1984 में पहली बार झुंझुनूं से सांसद बने। इसके बाद 1991 में जीतकर दुबारा लोकसभा में पहुंचे। तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव सरकार में कृषि राज्य मंत्री बने।

अमरीका के टैंक को ले आए थे भारत
अयूब खान के निजी सहायक रहे आबिद अली ने बताया कि जिस समय 1965 का भारत पाक युद्ध शुरू हुआ, उस समय नायब रिसालदार अयूब खान की यूनिट पंजाब बॉर्डर पर सियालकोट के पास थी। पाक सेना का सबसे बड़ा टार्गेट यही इलाका था। पाकिस्तान के पास उस समय अमरीका में निर्मित सबसे अभेद पैटन टैंक थे। अयूब खान की यूनिट में मात्र तीन सरमन टैंक थे, जो पैटन की तुलना में काफी कमजोर थे। लेकिन खान ने वीरता दिखाई, अपनी जान की परवाह किए बिना दुश्मन से भिड़ गए।

कम हथियार होने के बावजूद पाकिस्तान के पैटन टैंक को उड़ा दिया। दुश्मनों को उनकी सीमा में जाकर खदेड़ा। पाकिस्तान के एक टैंक को भारत की सीमा में ले आए। उस दिन की तारीख थी नौ सितम्बर। उसी दिन पूरे देश में उनकी वीरता की चर्चा गूंजने लगी। पाकिस्तान में उस समय अयूब खान राष्ट्रपति थे। तब कई समाचार पत्रों में इस युद्ध को इंडियन अयूब वर्सेज पाकिस्तानी अयूब नाम दिया था। नौ सितम्बर 1965 को ही उनको प्रधानमंत्री व सेना ने वीर चक्र देने की घोषणा की।

लाल बहादुर शास्त्री ने लगाया था गले
कैप्टन खान के निजी सहायक रहे आबिद अली ने बताया कि 13 नवम्बर के दिन राष्ट्रपति भवन में 1965 के युद्ध के इस वीर को वीर चक्र से सम्मानित किया गया तब तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री अपनी कुर्सी से उठे और गले लगाकर कहा था कि आज इंडियन अयूब को गले लगाकर गर्व महसूस कर रहा हूं।

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