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झुंझुनू

झुंझुनूं: यहां ग्राम पंचायतों से ज्यादा शहीदों की संख्या

यहां के बच्चे लोरियां नहीं, बल्कि अपनी मां से अपने पिता, दादा व परदादा की वीरता के किस्से सुनकर बड़े होते हैं। अनेक परिवार ऐसे हैं जिनकी पांच पीढिय़ां लगातार सेना में है। शहीद होने के बाद जब तिरंगे में लिपटकर बेटा आता है तो मां कहती है मेरा बेटा वीर था। आज वह अमर हो गया। पिता कहते हैं दूसरा बेटा होता तो उसे भी सेना में भेज देता।

झुंझुनूAug 19, 2022 / 12:55 pm

Rajesh

झुंझुनूं: यहां ग्राम पंचायतों से ज्यादा है शहीदों की सख्या

झुंझुनूं: यहां ग्राम पंचायतों से ज्यादा है शहीदों की सख्या

Army District Jhunjhunu
ग्राम पंचायत 337
शहीद 477

देश का अनूठा जिला देखना है तो आप राजस्थान के झुंझुनूं जिले में चले आइए। अनूठा इसलिए, क्योंकि यहां की माटी वीर उगलती है। ग्राम पंचायतों में किसी नेता की प्रतिमा भले ही नहीं हो, लेकिन औसत हर ग्राम पंचायत में शहीदों की प्रतिमा यहां की वीरता की गाथा गा रही हैं। 337 ग्राम पंचायतों वाले जिले में अब तक 477 अधिकृत रूप से शहीद हो चुके। जिले के जिस मार्ग से भी गुजरेंगे वहां बड़ा मंदिर दिखे या ना दिखे लेकिन शहीदों के स्मारक व उनके नाम के स्कूल जरूर दिखाई देंगे।
सेना से रिटायर्ड मेजर जयराम सिंह के अनुसार यहां के बच्चे लोरियां नहीं, बल्कि अपनी मां से अपने पिता, दादा व परदादा की वीरता के किस्से सुनकर बड़े होते हैं। अनेक परिवार ऐसे हैं जिनकी पांच पीढिय़ां लगातार सेना में है। शहीद होने के बाद जब तिरंगे में लिपटकर बेटा आता है तो मां कहती है मेरा बेटा वीर था। आज वह अमर हो गया। पिता कहते हैं दूसरा बेटा होता तो उसे भी सेना में भेज देता। वहीं बेटा कहता है पिता के सपनों को पूरा करने के लिए वह अब सेना में भर्ती होगा। करगिल शहीद बिशनपुरा गांव निवासी शीशराम गिल का छोटा बेटा कैलाश सेना में हैं। ऐसे अनेक हैं जो पिता के शहीद होने के बाद सेना में भर्ती हुए।

जीत चुके पदक

सेना मेडल हो या वीर चक्र। महावीर चक्र हो या परमवीर चक्र। युद्ध में वीरता का ऐसा कोई बड़ा पदक नहीं है जो यहां के वीरों ने नहीं जीता हो। पिलानी के निकट बेरी गांव में जन्मे देश के महान सपूत पीरू सिंह शेखावत तो मात्र तीस वर्ष की उम्र में शहीद हो गए थे। उनकी बहादुरी के किस्से अभी भी बच्चे किताबों में पढ़ते है। कई गोलियां लगने के बावजूद अंतिम सांस लेने से पहले भी उन्होंने दुश्मन के कई बंकर नष्ट किए थे। उनकी वीरता को देखते हुए सरकार ने उनको परमवीर चक्र से सम्मानित किया था।

यह भी खास
– सैनिक स्कूल: यहां बच्चे अनुशासन के साथ पढ़ाई व देशभक्ति का पाठ भी पढ़ रहे हैं।
-हर प्रमुख चौराहों पर शहीदों के स्मारक।
-अधिकतर बड़े स्कूल शहीदों के नाम।
-सेना भर्ती कार्यालय
-सैनिकों का अस्पताल
-सैनिकों के लिए कैंटीन
अनूठे गांव
-मुस्लिम समाज की देशभक्ति देखनी है तो देश में जाबासर, नूआं व धनूरी गांव श्रेष्ठ उदाहरण है। छोटे से धनूरी गांव ने देश को 600 से ज्यादा फौजी दिए हैं। अनेक लाडले देश की सरहदों की रक्षा करते हुए शहीद भी हो चुके।
-बुहाना के भिर्र गांव में रिटायर्ड फौजियों की संख्या करीब एक हजार तथा सेवारत फौजियों की संख्या करीब 1200 है।
– खेतड़ी में बाढ़ा की ढाणी में भी करीब 800 से ज्यादा रिटायर्ड व सेवारत फौजी हैं।

अनूठे स्मारक
-उदयपुरवाटी उपखंड के पोषाणा गांव में एक ही स्थान पर पांच शहीदों की मूर्तियां लगी हुई है। यह स्मारक जिले में अपने आप में अनूठा है।
– झुंझुनूं जिला मुख्यालय पर सबसे बड़े स्कूल दो हैं, एक परमवीर चक्र विजेता शहीद पीरू सिंह के नाम से है तो दूसरा स्कूल शहीद कर्नल जेपी जानू के नाम से है। दोनों के ही बड़े स्मारक भी हैं।

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