सूखा सहन करने की अपार क्षमता
रोहिड़ा में सूखा सहन करने की अपार क्षमता है। यह वृक्ष कम बरसात वाले क्षेत्र में भी अपना अस्तित्व बनाए रखता है। रिछपाल कुड़ी, बंशीधर तंवर, रामअवतार कुड़ी सहित अन्य किसानों की माने तो यह पेड़ कम बरसात में भी हरा भरा रहता हैं।
1983 में राजस्थान का पुष्प घोषित किया गया
सहायक निदेशक उद्यान शीशराम जाखड़ ने बताया कि 1983 में राजस्थान का पुष्प घोषित घोषित किया गया था। इसे मरू शोभा व रेगिस्तान का सागवान भी कहा जाता है। इन दिनों रोहिड़ा पेड़ पर पुष्प लग रहे हैं। जिले के अलावा चुरू जिले के सरदारशहर, रतनगढ़, चूरू तहसील, राजगढ़, तारानगर क्षेत्र रोहिड़ा के हब बताए जाते हैं। यह पेड़ कम बारिश में भी हरा भरा रहता है।
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आयुर्वेद में भी रखता है अपना स्थान
मरूशोभा के नाम से जाने जाने वाला रोहिड़ा का हर हिस्सा का आयुष चिकित्सा में काम आता है। आयुष चिकित्सक डां. युगावतार शर्मा ने बताया कि पेड़ के पुष्प, तना, छाल काम आता है। इससे बनी दवा लीवर, हार्ट व उदर व कृमि रोगों में यह कारगर है। इसकी शाखाओं को रात को पानी में भिगोकर सुबह पानी पीने से शुगर व बीपी में यह फायदेमंद है। इसके पुष्प से रोहितकारिष्ट, कुमार्यासव, कालमेघासव आदि दवा बनती है। जो लीवर संबंधी रोग, भूख की कमी, मोटापा, दमा, पुराना बुखार, मधुमेह व बवासीर जैसे रोगों के इलाज मेें कारगर है।
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आयुष चिकित्सक डां. नीरज सैनी बताते हैं कि श्वेत प्रदर, कफ नाशक में भी यह काम आता है। फोड़े फुंसी में इसके तने को पीसकर लगाने से आराम मिलता है। आयुर्वेदिक औषधि निर्माण से जुड़े लोगों का कहना है कि अधिकतर आयुर्वेदिक दवाइयों में रोहिडा के पुष्प काम आते हैं। जो फरवरी से अप्रेल महीने तक पेड़ पर लगते हैं। मांग के अनुसार इनका भाव रहता है। किसानों गीले व सूखे पुष्प पंसारी की दुकान पर बेचते हैं। वहां से आयुर्वेद दवा बनाने इसे खरीद कर ले जाते हैं।