शोधकर्ताओं ने ठोस अपशिष्ट लैंडफिल साइटों, डंपिंग यार्ड, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, वेटलैंड्स, तेल और गैस क्षेत्रों, तेल रिफाइनरियों और कपड़ा उद्योगों से निकलने वाले अलग-अलग मीथेन प्लम की पहचान की। इसमें मीथेन बढऩे का मुख्य कारण कचरे का सहीं से निस्तारण नहीं होना माना गया। दरअसल मीथेन गैस वातावरण को गर्म करती है। इससे ग्लोबल वार्मिंग होती है और तापमान बढ़ता है।
मीथेन शक्तिशाली गैस है। जिसकी ग्लोबल वार्मिंग क्षमता कार्बन डाइऑक्साइड से 28 गुना ज्यादा है जो हमारे ग्रह के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बड़ा खतरा है। इसे देखते हुए मीथेन के हॉट स्पॉट का अध्ययन किया जाएगा।
अध्ययन में बाड़मेर में एक साइट (ओ एंड जी एबीएच फेसिलिटी, बंदा तलवार ) को सबसे बड़ा उत्सर्जक बताया गया है, जो प्रति घंटे 1476 किलोग्राम मीथेन उत्सर्जित करता है। इसी तरह जैसलमेर में (ओ एंड जी, जीजीएस ) 932 किलोग्राम/घंटा मीथेन उत्सर्जित पाया गया। तारानगर में (एसडब्ल्यू भूतिया ) 589 किलोग्राम/घंटा और चिड़ावा में (एसडब्ल्यू डंप ) 589 किलोग्राम/घंटा मीथेन उत्सर्जित करता है।