पेंशन राशि बदल सकेंगे
श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया ने अधिकारियों को रिटायरमेंट के समय विड्रॉल के नियमों को लचीला बनाने का सुझाव दिया है, जिससे सब्सक्राइबर्स बेहतर तरीके से फाइनेंशियल प्लानिंग कर सकें और पेंशन के तौर पर सालाना मिलने वाले रकम में बदलाव कर सकें। कंस्ट्रक्शन वर्कर्स के नाम पर जो फंड राज्यों की ओर से वसूला जाता वह ऐसे ही पड़ा रह जाता है। मंत्रालय उस फंड को टैप करने पर विचार कर रहा है। राज्यों के पास करीब 75,000 करोड़ रुपए का फंड पड़ा है जिसका इस्तेमाल पीएफ कॉरपस के साथ पेंशन के लिए किया जा सकता है। वेज सीलिंग बढ़ेगी…: सरकार वर्ष 2025 की शुरुआत में ईपीएफओ के लिए सैलरी की अधिकतम सीमा बढ़ सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईपीएफओ में वेज लिमिट को 15,000 रुपए से बढ़ाकर 25,000 रुपए किया जा सकता है। ईएसआइसी के लिए भी वेतन सीमा 21,000 रुपए से बढ़ाकर 25,000 रुपए किया जा सकता है। वेज सीलिंग बढ़ने से ईपीएफ और ईएसआइसी के दायरे में एक करोड़ अतिरिक्त कर्मचारी आ सकते हैं।
यह होगा असर
नियोक्ता की ओर से किए गए योगदान का 69.4% ईपीएस (कुल बेसिक सैलरी का 8.33%) में जाता है। वहीं 30.5% यानी कुल बेसिक सैलरी का 3.67% ईपीएफ अकाउंट में जाता है। ईपीएफओ के लिए अभी बेसिक सैलरी की सीमा 15,000 रुपए होने से कर्मचारी पेंशन स्कीम (ईपीएस) में अधिकतम योगदान 1250 रुपए है, जो बेसिक सैलरी 21,000 रुपए होने पर बढ़कर 1749 रुपए हो जाएगा।
पेंशन कवरेज का दायरा बढ़ेगा
ईपीएफ नियमों के मुताबिक, अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 15,000 से अधिक है तो वे ईपीएस से नहीं जुड़ सकते, भले ही ईपीएफ स्कीम से जुड़े होें। अगर ईपीएफओ के लिए वेज लिमिट 15,000 रुपए से बढ़ाकर 25,000 रुपए कर दिया जाता है तो वैसे कर्मचारी भी ईपीएस योजना से जुड़ पाएंगे, जिनकी बेसिक सैलरी 15,000 रुपए से अधिक है। ऐसे कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिल सकेगी। अधिकांश राज्यों में न्यूनतम मजदूरी मासिक मजदूरी 18,000 से 25,000 रुपए के बीच है।