रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बंजर भूमि पर नींबू घास लगाने की सलाह दी है। कृषि वैज्ञानिक डॉ उमेश पंकज, डॉ विनोद कुमार ने बताया कि बुंदेलखंड मे नीबू घास (लेमन घास) की खेती किसानो की अच्छी आय का जरिया हो सकती है। नींबूघास एक सुगंधीय व औषधीय पौधा होता है। इसके तेल व पत्तियों का उपयोग विभिन्न प्रकार से किया जाता है। इसके तेल से विभिन्न सुगंधित साबुन, सौंदर्य प्रसाधन बनाए जाते है। खासियत ये है कि इसकी सुगंध का उपयोग उद्योग, खाद्य व पेय पदार्थो में, जीवाणु रोधिता व अन्य फर्मास्यूटिकल उत्पादो में भी होता है। इसके तेल में मुख्य रूप से सिट्राआयल रासायनिक घटक होता है। नींबू घास के तेल की अंतराष्ट्रीय बाजार मे कीमत लगभग 1200-1500 रुपये प्रति किग्रा मिलती है। नींबू घास एक बहुवर्षीय व बार-बार काटी जाने वाली घास है। इसके उत्पादन के लिए बुन्देलखंड की जलवायु बेहद मुफीद होती है। इसको स्लिप्स या कल्लों द्वारा रोपाई करते है।
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मालदीव हैंडबाल लीग में दर्जी की बेटी सपना रचेगी इतिहास, दो घंटे में ऐसे तैयार हुआ पासपोर्ट नींबू घास रोपाई का वक्त एक हेक्टेयर मे लगभग 55000 स्लिप्स की आवश्यकता होती है। नींबू घास को मानसून आने के समय (जून-जुलाई) मे रोपाई की जाती है। स्लिप्स को लाइन से लाइन 60 सेमी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 30 सेमी. पर खुरपी से गड्ढा करके उसमें उर्वरक (150:60:60 प्रति हे॰ नत्रजन, फोफोरस एवं पोटाश) मिला लें और स्लिप्स को लगायें तथा हल्की सिंचाई करें। 5 साल के आधार पर नींबू घास का तेल सिंचित भूमि से लगभग 200-250 किग्रा. प्रतिवर्ष प्रति हेक्टेयरा असिंचित भूमि से 100-125 किग्रा. प्रतिवर्ष प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता है।