इस स्थिति ने जिले में शिक्षा विभाग के लिए स्थिति को और भी जटिल बना दिया है,क्योंकि पहले ही जिले में शिक्षा विभाग के डीईओ से लेकर सीबीईओ तक के 12 महत्वपूर्ण पद खाली चल रहे हैं। हालांकि इनमें से प्रारंभिक जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर नरसो मीणा को लगाया गया है, उकने भी मेडिकल पर होने से जल्द ज्वाइन करना मुश्किल है।
जल्द हो नियुक्ति –
जिले की इस स्थिति को सुधारने के लिए शिक्षा विभाग को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। सबसे पहले, जिले के लिए सीबीईओ के पदों पर नियुक्तियां शीघ्र की जानी चाहिए। ब्लॉक स्तर पर भी सीबीईओ के अतिरिक्त चार्ज देने की व्यवस्था को समाप्त कर स्थाई नियुक्ति की जानी चाहिए। इसके अलावा, डीईओ पद की नियुक्ति भी जरूरी है, ताकि जिले के शिक्षा विभाग को एक स्थिर नेतृत्व मिल सके। सिर्फ नाममात्र के अधिकारियों पर जिम्मेदारियां डालने से शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। जिसे रोकने के लिए सटीक रणनीति की जरूरत है।
ब्लॉक पर अतिरिक्त चार्ज से हो रही परेशानी-
जिले में ब्लॉक स्तर पर सीबीईओ के पदों के रिक्त होने के कारण प्रिंसीपल रैंक के अधिकारियों को सीबीईओ का अतिरिक्त चार्ज सौंपा गया है। इन अधिकारियों के पास पहले से ही अपने स्कूल की जिम्मेदारियां हैं। उन्हें अतिरिक्त कार्यभार सौंपना उनकी कार्यक्षमता को प्रभावित कर रहा है। वो अपने विषय का अध्यापन भी नहीं कर पा रहे हैं। जिले में मनोहरथाना, खानपुर, सुनेल में व्याख्याताओं के पास दोहरी जिम्मेदारी है। जिले में डीईओ और डाइट प्राचार्य भी नहीं- जिले में जिला शिक्षा अधिकारी व डाइट प्राचार्य का पद भी खाली पड़ा हुआ है। ऐसे में जिले में शिक्षा के प्रशिक्षण और विकास कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
न्यून प्रगति पर मुख्य सचिव ने लगाई फटकार-
सोमवार को राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव ने सीवी। जिसमें विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा की गई। जिसमें झालावाड़ जिले में अपार आईडी, हेल्थ सर्वे, व परीक्षा पर चर्चा के अन्तर्गत जिले की स्थिति अत्यधिक न्यून पाई गई। ऐसे में जिले के शिक्षा अधिकारियों को 9 जनवरी तक शतप्रतिशत प्रगति के निर्देश दिए। वहीं मुख्य सचिव ने जिन संस्थाओं के कार्य में शिथिलता बरती जा रही है उन पर अनुशासनात्मक कार्यवाही व निजि संस्था के मान्यता समाप्ति के प्रस्ताव भिजवाने के निर्देश दिए।
आठों सीबीईओ के पद खाली-
जिले के 8 ब्लॉक है। सभी में सीबीईओके बाद खाली चल रहे हैं। वहीं सुनेल में 31 दिसंबर को कार्यवाहक सीबीईओ के सेवानिवृत होने से ये पद रिक्त हो गया है।
पत्रिका व्यू –
ऐसे तो कैसे हो जाएगी स्कूलों की निगरानी वर्तमान में
झालावाड़ जिले का शिक्षा विभाग गंभीर संगठनात्मक संकट से जूझ रहा है। जिले में शिक्षा प्रशासन की कुशलता बनाए रखने और छात्रों के बेहतर भविष्य के लिए जरूरी है कि प्रशासनिक पदों की रिक्तता को जल्दी से जल्दी भरकर एक मजबूत शिक्षा व्यवस्था की दिशा में कदम बढ़ाए जाएं। ऐसा न होने पर यह समस्या और गहरी हो सकती है, और इसके दूरगामी प्रभाव जिले की शिक्षा गुणवत्ता पर पड़ सकते हैं। आठ ब्लॉक में सीबीईओ के नहीं होने से ब्लॉक स्तर पर शिक्षा की निगरानी मुश्किल भरा हो गया है। वहीं, ब्लॉक के शिक्षकों और जिलास्तर के अधिकारियों के बीच की कड़ी भी टूट रही है। ब्लॉक लेवल पर पद रिक्त होने से विभाग का निगरानी तंत्र भी टूट रहा है। पिछले दिनों शिक्षकों को इधर-उधर करने पर कुछ स्कूलों में तालाबंदी जैसे हालात उत्पन्न हुए। तो कहीं संस्थाप्रधान व शिक्षकों व मंत्रालयिक कर्मचारियों के झगड़े भी आए दिन सामने आ रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि जिले में शिक्षा विभाग के पद जल्द भरे जाएं। ताकि शिक्षा जैसे गंभीर विभाग की गरिमा बनी रहे,बच्चों का भविष्य संवर सके।
इनका कहना है-
जिले में एक ही पद दिया गया है। अभी 2023 की डीपीसी होगी शायद उसमें पद भर जाएं। अभी 168 में से कई का रिटार्यमेंट हो चुका है, उनमें से 95 का पदस्थापन किया गया है।अपार आईडी में जिले का 33 वां स्थान है। सभी को पंजीयन करवाने के लिए निर्देश जारी कर दिए है।
रामसिंह मीणा, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, झालावाड़