व्यापारिक क्षेत्र में जीएसटी आने के बाद कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर में हिसाब किताब रखने का चलन तेजी से बढ़ा है। पहले सारा हिसाब किताब बही खातों में रखा जाता था। अलग से ट्रेडिंग अकाउंट बनाना, लेजर लिखना, प्रॉफिट और लॉस अकाउंट बनाना यह सारा काम करने के बाद करोड़ का कैल्कुलेशन भी व्यापारियों को मैन्युअल ही करना पड़ता था, लेकिन नई पीढ़ी आने के बाद इसमें बदलाव आया है।
जरूरत है अब सॉफ्टवेयर के जानकारों की कस्बे सहित शहरी क्षेत्र में 30 प्रतिशत से अधिक व्यापारी अपना हिसाब-किताब कम्प्यूटर की सहायता से करने लगे हैं,हालांकि कई स्थानों पर कम्प्यूटर के साथ-साथ मैन्युअल हिसाब किताब भी रखा जाता है, लेकिन जिन व्यवसायियों का टर्नओवर अधिक है उनके यहां अधिकांश काम सॉफ्टवेयर पर होने लगा है। ऐसे में सॉफ्टवेयर के जानकारों को व्यवासायिक स्थलों पर स्थान मिलने लगा है।
नई तकनीक के साथ जुडऩा जरूरी सराफा व्यवसायी नरेन्द्र सोनी का कहना है कि सॉफ्टवेयर के जरिए काम असान हो गया है। अब मात्र एक इंट्री करने से सभी खाते अपने आप बनते चले जाते हैं, ऐसे में जीएसटी का आंकलन करना हो, प्रोफेट लॉस अकाउंट हो, दुकान गोदाम में रहने वाले स्टॉक का कैल्कुलेशन हो, यह सारा हिसाब कितबा अब एक इंट्री करने मात्र से ही होने लगा है। ऐसे में नई तकनीक के साथ जुडऩा भी जरूरी हो गया है, साथ ही मैन्युअली हिसाब किताब भी रखते है।
दुकानों पर सजी बहियां दुकानदार हो या कोई व्यवसायी इन दिनों कम्प्यूटर के साथ बही खातों का उपयोग कर रहा है। दीपावली के मौके पर नए बही-खाते बदलने की परंपरा को इस बार भी निभाने की तैयारी में जुट गए है। व्यापारी वर्ग में बही-खाते को इतनी इज्जत दी जाती है कि लक्ष्मी पूजन के दौरान बही- खाते की पूजन के दौरान बही खाते की पूजन कर स्वास्तिक बनाकर उसमें पूजा कर उसमें नया हिसाब लिखा जाता है। बही खाते में व्यापारी के पास पुराना हिसाब दर्ज है। कस्बे सहित जिले के ऐसे व्यापारी जो बही-खाते का उपयोग करते है उनके पास आज भी कई वर्षो के लेनदेन बहियों में लिखा हुआ है। कई व्यापारी तो ऐसे है जिनके पास अपने परिजनों के आजादी से पहले के बही-खाते आज भी सुरक्षित है।
शुभ मुहूर्त में लिखते हिसाब
- बही-खातों में बड़ी संख्या में खरीद धनतेरस पर शुभ मुहुर्त में होती है। बुजुर्ग मांगीलाल प्रजापत ने बताया कि कई व्यापारी इस दिन होने वाली खरीदारी का हिसाब किताब लिखकर बही-खाते की शुरूआत करते है। बही में एक बार जो उधारी या चूकता राशि दर्ज हो जाए वह अब भी मान्य है। उसके लिए व्यापारी वर्ग किसी सबूत की आवश्यकता नही मानता। बहियों के व्यापारी संजय गुप्ता, हेमंत जोशी, सौरभ जैन और रविन्द्र गुप्ता ने बताया कि बहियों की बिक्री पूर्ववत ही है