2019 के लोकसभा चुनाव में कांतिलाल भूरिया को भाजपा के जीएस डामोर ने हराया था। वहीं, इससे पहले दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को भी हार का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद कांतिलाल भूरिया के राजनीतिक जीवन पर सवाल खड़े होने लगे थे। लेकिन पांच महीने के भीतर ही झाबुआ से चुनाव जीतकर कांतिलाल भूरिया का कद एक बार फिर से प्रदेश की राजनीति में बढ़ गया है।
कांतिलाल भूरिया छठवीं बार विधायक बने हैं। हालंकि वो झाबुआ विधानसभा सीट से पहली बार चुनाव जीते हैं। इससे पहले वो झाबुआ जिले की थांदला विधानसभा सीट से लगातार पांच बार विधायक रह चुके हैं।
कांतिलाल भूरिया, अर्जुन सिंह की कैबिनेट में संसदीय सचिव रहे तो वहीं, दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में प्रदेश के आजाक मंत्री थे। 1998 में पहली बार सांसद बने। इसके बाद 1999, 2004, और 2009 में भी सांसद रहे। 2003 में यूपीए सरकार में केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री बनाया गया। वहीं, यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में ट्राइबल मंत्री बने। 2001 में उन्हें मध्यप्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
2014 के लोकसभा चुनाव मे कांतिलाल भूरिया को हार का सामना करना पड़ा। लेकिन भाजपा सांसद के निधन के बाद झाबुआ-रतलाम संसदीय सीट पर उपचुनाव में वो जीत दर्ज कर संसद पहुंचे। कांतिलाल भूरिया दूसरी बार उपचुनाव जीते हैं एक बार लोकसभा और एक बार विधानसभा। कांतिलाल भूरिया को 2019 के लोकसभा चुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा था।