झाबुआ विधान सभा सीट का जातिय समीकरण
झाबुआ विधानसभा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। यहां बड़ी संख्या में आदिवासी लोग रहते हैं। झाबुआ के चुनाव में जातिगत समीकरण काफी मायने रखते हैं और इन्हीं से हार जीत का समीकरण भी तय होता है। यहां की 85 फीसदी आबादी आदिवासी है, लेकिन वोटर्स अलग-अलग वर्ग के हैं।
झाबुआ विधान सभा सीट पर कुल मतदाता
कुल मतदाता – 2 लाख 77 हजार
पुरुष मतदाता – 1 लाख 39 हजार
महिला मतदाता – 1 लाख 38 हजार
ऐसे समझें जातिगत समीकरण
यहां 85 प्रतिशत आदिवासी मतदाता में भील, पटलिया, भिलाला मतदाता हैं। यहां भील मतदाता करीब 1 लाख 30 हजार, पटलिया मतदाता 65 हजार, भिलाला करीब 22 हजार मतदाता हैं. इसके अलावा यहां 30 हजार ईसाई मतदाता और सामान्य, मुस्लिम, ओबीसी, अन्य मतदाता करीब 50 हजार हैं।
झाबुआ सीट का इतिहास
झाबुआ सीट के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो 1977 के बाद से यहां कांग्रेस 8 बार और बीजेपी 3 बार जीती। 1977 से कांग्रेस के बापू सिंह डामर यहां 5 बार विधायक बने। फिर 1998 में कांग्रेस के स्वरूप भाई भाबर जीते। पहली बार बीजेपी ने यहां 2003 में अपना खाता खोला। लेकिन फिर 2008 के चुनाव में ये सीट कांग्रेस के पास आ गई। इसके बाद 2013 में बीजेपी ने हार का बदला लिया। 2018 में भी बीजेपी के पास ही ये सीट गई। लेकिन गुमान सिंह डामोर के लोकसभा में जाने के बाद यहां उपचुनाव हुए तो कांग्रेस ने इस सीट को भाजपा से हथिया लिया।
2018 का नतीजा
साल 2018 में झाबुआ की सीट से कांतिलाल भूरिया के बेटे ने चुनाव लड़ा था। उनके सामने बीजेपी के गुमान सिंह डामोर के बीच चुनाव हुआ। इसमें कांतिलाल भूरिया के बेटे को हार मिली। वहीं 2019 में गुमान सिंह डामोर लोकसभा चले गए, फिर इस सीट पर उपचुनाव हुए। उपचुनाव में यहां 60.01 फीसदी वोटिंग हुई। इसमें कांतिलाल ने ये चुनाव जीत लिया। कांतिलाल भूरिया को 96,155 वोट मिले तो, वहीं बीजेपी के भानू के खाते में 68,351 वोट आए।
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