दो गांवों में पायलट प्रोजेक्ट जशपुर के डीएफओ जितेंद्र उपाध्याय ने बताया कि ओडिशा से लगे तपकरा वनपरिक्षेत्र दो गांव टिकलीपारा और पेरवाआरा में एक मॉडल के तौर पर उपयोग में लाने की योजना है। उन्होंने बताया कि आमतौर पर जो सिंपल सोलर फेंसिंग होती है उसे हाथी नुकसान पहुंचा देते है, लेकिन इस सिस्टम को हाथी नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे और उन्हें आबादी वाले इलाके से दूर रखने में मदद मिलेगी। इसका प्रोजेक्ट बनाकर भेजा गया है, इन दो गांवों में यदि यह प्रयोग सफल होता है तो आगे इसे विस्तार दिया जाएगा।
दो गांवों के लिए 17 लाख का बजट फिलहाल दो गांव टिकलीपारा और पेरवाआरा गांव के 17 घरों को आइसोलेशन में रखने के लिए 17 लाख रुपए का सिस्टम लगाने की योजना है, इसमें खंभे से 16-17 फुट की दूरी पर तार झूलते रहते हैं, जिसमें सोलर करंट प्रवाहित रहता है, इस सिस्टम में खंभों तक हाथी नहीं पहुंच पाते जिसके कारण वह इसको नुकसान नहीं पहुंच पाते हैं।
ये योजनाएं रहीं फेल प्रदेश 11 हाथी प्रभावित जिलों में इनके आतंक को रोकने के लिए 10 से अधिक योजनाओं पर काम किया गया लेकिन किसी में आंशिक सफलता मिली तो कोई धरातल पर नहीं उतर पाई।
– एलिफेंट कॉरीडोर बनाने की योजना फाइलों तक ही सिमट कर रह गई। – सोलर फेंसिंग लगाई गई, लेकिन हाथियों ने उसे तोड़ दिया। – कर्नाटक से प्रशिक्षित कुमकी हाथियों को लाया गया लेकिन इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ा।
– वन विभाग ने जंगलों में हाथियों को चारा देने की मुहिम शुरू लेकिन इससे सफलता नहीं मिली। – इसके अलावा, मधुमक्खियों, हरियाली बढ़ाने, सोलर बजुका जैसी योजनाएं भी हाथियों को नहीं रोक पाईं।
हैंगिंग सोलर फेंसिंग को जिले के तपकरा वनपरिक्षेत्र के दो गांव टिकलीपारा और पेरवाआरा में लगाया जा रहा है। इन दो गावों में यदि यह प्रयोग सफल होता है तो आगे इसे विस्तृत रूप से जिले के हाथी प्रभावित क्षेत्रों में लगाया जाएगा
– जितेन्द्र उपाध्याय, डीएफओ जशपुर