वहीं, संकल्प के प्राचार्य विनोद गुप्ता का कहना है कि छात्रा की बीमारी का पता चलते ही तत्काल उसे उपचार के लिए जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था और चिकित्सकों द्वारा डिस्चार्ज करने के बाद छात्रा के पिता ने छात्रावास से छुट्टी दिला कर घर ले गए थे। उन्होनें उपचार में किसी प्रकार की लापरवाही से इंकार किया है।
जानें मामला
जानकारी के अनुसार, मृतिका सुप्रिया सिदार पिता मानसाय सिदार जिले के पत्थलगांव ब्लाक के तमता के रहने वाले हैं। मीडिया को दिए गए बयान में छात्रा के पिता मानसाय के अनुसार 11 दिसंबर को उन्हें छात्रावास प्रबंधन की ओर से सुप्रिया की तबियत खराब होने की सूचना मिली थी। छात्रावास अधीक्षिका ने उन्हें बताया था कि सुप्रिया चलने फिरने की हालत में नहीं है।
पिता का आरोप है कि उन्होंने वार्डन को फोन कर बेटी को तत्काल हॉस्पिटल में भर्ती कराने को कहा। परंतु वार्डन ने पेट दर्द का टेबलेट खिलाकर सुला दिया। बच्ची फिर भी ठीक नहीं हुई तो स्वजनों ने जशपुर निवासरत एक अपने रिश्तेदार को स्कूल देखने भेजा। लेकिन रिश्तेदार को वार्डन द्वारा 2 घंटे तक इंतजार कराने पर भी मिलने नहीं दिया तथा और बाद में बच्ची को गंभीर हालत में अस्पताल भर्ती कर दिया था।
मानसाय का आरोप है कि उनके अस्पताल पहुंचने से पहले ही
छात्रावास के कर्मचारियों ने सुप्रिया का हास्पिटल में छुट्टी कराकर ऑटो में बस स्टैंड लाकर बैठा दिया था। परिजन बच्ची को बस स्टैंड से लेकर घर ला रहे थे तो रास्ते में ही डुमरबहार में बच्ची की सांस थम गई। तमता के सरपंच यदुनंदन बाज का इस पूरे मामले की जांच व दोषियों के विरूद्व कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
छात्रा की बीमारी का पता चलने पर उसे तत्काल उपचार के लिए जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। उपचार के बाद अस्पताल प्रबंधन ने डिसचार्ज किया था और छुट्टी दिला कर उसके पिता घर तमता ले कर गए थे। उपचार में किसी प्रकार की लापरवाही का आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद है। – विनोद गुप्ता, प्राचार्य, संकल्प शिक्षण संस्था, जशपुर।