यहां प्राचीन संस्कृति एवं सभ्यता की झलक देखने को मिलती है। यह क्षेत्र प्राकृतिक सुषमा एवं नैसर्गिक सौंदर्य से आच्छादित हैं। हरीभरी पहाड़ियों पर स्थित इस गुफा की संरचना चकित करती है। शीतल जलधारा मन-मस्तिष्क को ठंडक पहुंचाती है। गुफा के आंतरिक एवं बाह्य भाग की सुंदरता निराली है। यह जगह प्रकृति का अनोखा वरदान है। गुफा के आंतरिक भाग में भगवान शिव की प्रतिमा है।
गुफा के ऊपरी भाग पर स्थित प्रतिमा को बूढ़ा महादेव कहा जाता है। यहां प्रतिदिन शिव भक्त भगवान से आशीर्वाद लेने आते हैं। यहां बहती अलकनंदा नदी की धारा पहाड़ी भागों से होते हुए गुफा के समीप ही एक सुंदर जलधारा का निर्माण करती है। जिसे अलकनंदा जलप्रपात कहा जाता है। प्रपात की ऊंचाई करीब तीस फीट है। दूधिया शीतल जलधारा पर्यटकों का मन मोह लेती है। जलधारा के समीप एवं ऊपरी भागों में बंदरों के झुंड को भी यह जगह अति प्रिय है।