वन विभाग के कर्मियों ने देखा तो उसमें हथिनी और उसका बच्चा छटपटा रहे थे। कुएं में कीचड़ होने के आकर दोनों बाहर आने के लिए संघर्ष तो कर रहे थे लेकिन निकल नहीं पा रहे थे। बार-बार कोशिश करने के कारण हथिनी और उसका बच्चा थक चुके थे। जिसके बाद जेसीबी की मदद से दोनों को टीम ने रेस्क्यू कर बाहर निकाला और फिर उन्हें जंगल की ओर छोड़ दिया गया।
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घटना के संबंध में जानकारी देते हुए जशपुर के डीएफओ श्रीकृष्ण जाधव ने पत्रिका को बताया के सुबह-सबह पांच 5:30 बजे ग्रामीणों ने गांव से ठीक बाहर स्थित गांव के एक ग्रामीण के द्वारा बनाए गए छोटे कुुंए के आसपास हाथियों के चिंघाड़ने की आवाजें सुनी। कुछ ग्रामीणों ने उठकर देखा तो गांव के पुराने कुएं में एक हथिनी और उसका बच्चा गिर गया था और गांव के समीप के जंगलों में 12 हाथियों का झुंड खड़ा होकर चिंघाड़ रहा था।
ग्रामीणों ने घटना की सूचना कुनकुरी रेंजर संजय होता और जशपुर डीएफओ श्रीकृष्ण जाधव को दी। ग्रामीणों अपने स्तर से हथिनी और उसके बच्चे को कुंए के कोर को काटकर बाहर निकालने की कोशिश की पर कम संसाधन और पास के जंगल में ही हाथियों के मौजूद होने के भय से से वो सफल नहीं हो सके।
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क्योंकि जब हाथियों के झुंड में किसी पर कोई विपत्ति आती है तो दल के सभी हाथी परेशान और क्रुद्ध हो जाते हैं। जेसीबी की मदद से सुरक्षित बाहर निकाले गए सूचना के बाद वन विभाग की टीम जेसीबी लेकर सुबह 7:00 बजे करीब घटनास्थल पर पहुंची, घटना की सूचना पाकर खुद डीएफओ श्रीकृष्ण जाधव दल बल के साथ मौके पर पहुंचे।
पुलिस विभाग और वन विभाग की टीम ने जेसीबी की मदद से कुछ घंटों की मशक्कत के बाद मादा हाथी और उसके बच्चे को कुंए से सुरक्षित बाहर निकाल लिया। डीएफओ श्रीकृष्ण यादव ने बताया कि कुए से बारिश के दौरान बाहर निकलने की कोशिश में वहां पर कीचड़ बन गया था जिसके वजह से मादा हाथी और शावक बाहर नहीं निकल पा रहे थे और इस कोशिश में वह थक भी चुके थे।