प्रतिबंध के बाद भी धड़ल्ले से हो रहा पालिथीन का उपयोग, पालिका कभी नहीं करती कार्रवाई
शहर में एक चलन बन चला है, पहले किसी भी चीज पर प्रतिबंध लगाओ, फिर कार्रवाई करो, विरोध हो तो बंद कर दो। इसके कारण कालाबाजारी भी आम हो गई है। इन दिनों यही स्थिति पॉलिथीन को लेकर है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश और ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने पॉलिथीन पर प्रतिबंध लगाया, लेकिन जांजगीर में महज कुछ दिन दिखाई दिया। अब एक बार फिर बाजार में पॉलिथीन देखी जा सकती है।
कचहरी चौक के आसपास तो यह दुकान, राशन दुकान, पान की दुकानों से लेकर ठेले तक पर आसानी से उपलब्ध है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट और ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश के बाद छत्तीसगढ़ में पॉलिथीन पर प्रतिबंध लगाया गया था। दुकानदार पॉलिथीन में सामान देना बंद कर दें। प्रतिबंध के एक सालभर तक पालिका प्रशासन ने कार्रवाई करनी शुरू की। यह कार्रवाई महज शुरूआत में माह भर चली। इसके बाद बंद हो गई। अब आलम यह है कि बाजार में फिर पॉलिथीन में सामान बिकने लगे हैं। पहले 40 माइक्रॉन तक के पॉलिथीन बैग दिख भी जाते थे, अब काले रंग की पॉलिथीन पसर गई है। इसे विशेषज्ञ सबसे ज्यादा खतरनाक मानते हैं।ं पॉलीथिन पर अमला सुस्त हो गया है। न तो लोगों को जागरूक करने का काम रहे हैं और न ही कोई कार्रवाई। इस दिशा में प्रशासन के आला अफसरों ने दिशा-निर्देश दिए थे, लेकिन सब बेअसर रहा। पॉलीथिन का चलन बढ़ गया है। यह नुक्कड़ में निकलने वाले कचरे से स्पष्ट हो रहा है। कचरे में पॉलीथिन की मात्रा बढ़ गई है। पहले जब पालिका कार्रवाई कर रहा था, तब यह मात्रा घट गई थी। कचरे में 60 फीसदी पॉलीथिन कम हो गया था। लेकिन चलन की वजह से कचरा में पॉलीथिन बढ़ गया है। इसे पालिका के अफसर भी पुष्ट कर रहे हैं। है। पॉलीथिन के अत्यधिक उपयोग के चलते लोग प्रतिदिन प्लास्टिक कचरा घर के बाहर फेंक रहे है। कुछ लोग पॉलीथिन में बचे खाद्य पदार्थ को भी फेंक देते है, जिसे जानवर खा रहे है। पॉलीथीन खाने से प्रतिवर्ष कई पशुओं की असमय मृत्यु हो रही है।
समय-समय पर करना चाहिए जागरूक
वर्तमान में नगर सहित क्षेत्र में पॉलीथिन की समस्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। शहरवासियों का कहना है कि पूरे शहर का कचरा जहां पर खोखरा रोड में डंप होता है, वहां पर मेन रोड में केवल पॉलिथीन ही नजर आता है। साथ ही मवेशी इस पॉलिथीन को खाते नजर आते है। शासन द्वारा पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद इसका उपयोग बढ़ता ही जा रहा है। साथ ही इससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहींं पहुंचता था। लेकिन कम लागत के चलते अब हर जगह पॉलीथिन का उपयोग किया जा रहा है। पॉलीथीन से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करना चाहिए।
पॉलीथीन से खेतों को हो रहा नुकसान
पॉलीथिन से होने वाले विपरीत प्रभाव के प्रति लोगों में गंभीरता दिखाई नहीं देती। क्षेत्र मे फैले कचरे मे पॉलीथिन की अधिकता बढ़ती जा रही है। यह कचरे पॉलीथीन के साथ किसी किसी माध्यम से खेतों तक पहुंच रहा है। आजकल नगर सहित गांवों में भी पॉलीथीन प्लास्टिक से बने सामान का उपयोग लोगों द्वारा किया जा रहा है। गांव के लोग अपने घर का निकलने वाले कचरा गोबर को एक निश्चित स्थान में डालते है।
वर्जन
जल्द ही पॉलीथीन पर अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए टीम गठित कर लगातार कार्रवाई की जाएगी।
चंदन शर्मा, सीएमओ
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