वाहनों के पहिए थमने के कारण जिले के डीजल की बिक्री 75 प्रतिशत से अधिक गिर गई है। अभी जिले में रोजाना केवल 1.50 लाख रुपए के डीजल की खपत है। जबकि लॉकडाउन से पहले जिले में रोजाना कम से कम 5.50 लाख रुपए का डीजल बिकता था।
घरों से नहीं निकल रहे लोग
जिला प्रशासन की ओर से लॉकडाउन के बाद बहुत कम लोग वाहन लेकर घरों से निकल रहे हैं। शहर में जरूरत होने पर कुछ लोग वाहन लेकर सड़कों पर निकलते हंै, लेकिन हाइवे पर जाने वाले दुपहिया वाहन चालक नहीं जा रहे हैं। कार लेकर भी लोग कम ही शहर से बाहर जा रहे हैं। इस कारण पेट्रोल व डीजल की जरूरत भी कम पड़ रही है। इससे बिक्री भी घटी है।
डीजल से चलते हैं भारी वाहन
जिले में कार या अन्य बड़े वाहन डीजल से चलने वाले अधिक हंै। इनमें से भी कारें कम ही चल रही हैं। बड़े वाहन आवश्यक सामग्री के परिवहन में उपयोग में लिए जा रहे हंै। उनकी संख्या भी गिनती की है। ऐसे में पेट्रोल पंपों से डीजल भरवाने के लिए ट्रक, टैंकर या ट्रेलर चालक नहीं पहुंच रहे हैं। इस वजह से भी पेट्रोल व डीजल की खपत कम हो गई है और इनकी मांग भी।
जिले में 80 से 85 पेट्रोल पंप
जिले में शहरों व ग्रामीण क्षेत्र मिलाकर 80 से 85 पेट्रोल पंप है। शहर के बनारी रोड पेट्रोल पंप के संचालक रीकेश अग्रवाल ने बताया कि पहले से बिक्री बहुत कम हो गया है। केवल सरकारी गाड़ी में ही पेट्रोल डाल रहे हैं। घर से कोई निकल ही नहीं रहा है। मानें तो 75 प्रतिशत बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है।