Dhan Kharidi: अधिकांश खरीदी केन्द्रों में रहा सन्नाटा
धान खरीदी के पहले दिन जिले के अधिकांश खरीदी केन्द्रों में अव्यवस्था का आलम देखने को मिला। पहले दिन
धान बेचने के लिए कहीं किसान नहीं पहुंचे। इसके चलते बाकी उपार्जन केंद्रों में सन्नाटा पसरा रहा। कई उपार्जन केंद्रों का ताला तो आज जाकर खुला, जहां जमीन समतलीकरण से लेकर साफ-सफाई और रंगाई-पुताई करते कर्मचारी नजर आए। इधर गुरूवार को भी धान बेचने के लिए कहीं टोकन नहीं कटा। हालांकि पहले से टोकन इस माह के लिए कट गया है। ज्यादातर उपार्जन केंद्रों में पहले दिन केवल साफ-सफाई का ही दौर चलता रहा।
पहले दिन भी जिले के मात्र 3 खरीदी केंद्रों में धान पहुंचा। इसमें सरखों, मेहंदी व जावलपुर शामिल है। सरखों में 10 क्विंटल, जावलपुर में 22.4 क्विंटल व मेहंदी में 27.6 क्विंटल पहले दिन खरीदी की गई। आमतौर पर जिले में नवंबर के अंतिम सप्ताह के बाद ही धान की आवक शुरु होती है और दिसंबर के पहले हफ्ते में खरीदी जोर पकड़ती है। लेकिन इस बार धान की आवक आने में और देरी हो सकती है। पहले दिन जिले के
किसानों ने खरीदी के लिए टोकन नहीं कटवाया।
ऐसे में 15, 16 को
धान खरीदी केन्द्रों में सन्नाटा रहने की उम्मीद है, क्योंकि इस तिथि के लिए टोकन कटा ही नहीं है। इसके बाद 25 से ज्यादा मात्रा में टोकन कटा है,। इसलिए लिहाज से देखा जाए ऐसे में आवक भी दिसंबर के दूसरे-तीसरे हफ्ते से आने की बात कही जा रही है। जिले में 129 उपार्जन केंद्रों से इस बार समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की जाएगी।
कई जगहों पर फसल खेतों में गिरी
जिले में ज्यादातर किसान स्वर्णा
धान लगाते हैं। यह फसल देरी से तैयारी होती है। वर्तमान में अभी फसल खेतों में हैं। कई जगहों हवाओं और रात में गिरने वाली ओस के चलते फसल खेतों में ही गिर गई है, जिससे कटाई नहीं हो पा रही है। आमतौर पर दिवाली के बाद ही जिले में फसल कटाई जोर पकड़ती है। लेकिन इस बार सप्ताह भर बाद कटाई जोर पकड़ेगी और फिर केंद्रों में धान की बंफर आवक होगी। कई जगहों पर जहां देरी से बुआई हुई है, वहां तक अब फसलों पर दाने निकल रहे हैं। वहीं खेतों में नमी है, जिससे हार्वेस्टर से कटाई अभी नहीं हो पा रही है।
दागियों के भरोसे फिर से धान खरीदी की तैयारी
इधर
धान खरीदी को लेकर एक दिन कुछ जगह खरीदी प्रभारियों की सूची जारी की गई। जिसमें कई केन्द्रों की प्रभारी बदले गए। ज्यादातर उपार्जन केंद्रों में पुराने प्रभारियों को ही धान खरीदी का फिर से जिम्मा सौंपा गया है। कुछ ही उपार्जन केंद्रों में बदलाव हुआ है। इसमें ऐसे केंद्र प्रभारियों को फिर से मौका दिया गया है, जिसके पुराने कार्यकाल के दौरान दामन में दाग लग चुके हैं। इधर पिछले साल बारदाना शार्टेज भी हुआ है, लेकिन इसे भी नजरअंदाज कर दागियों को अभयदान मिलता नजर आ रहा है।