CG News: जनाब…यहां गधे भी काम करते हैं मशीन की तरह, देखें वीडियो
Janjgir champa News: यहां के ईंट भट्ठों में मध्यप्रदेश के सतना, मैहर, पटना, छतरपुर सहित कई जिलों के सैकड़ों की तादाद में श्रमिक गधों के माध्यम से अपना जीविकोपार्जन कर रहे हैं..
पत्रिका एक्सक्लूसिव संजय राठौर CG News: गधे शब्द का इस्तेमाल अक्सर हम अनपढ़ या नासमझ व्यक्ति के लिए करते हैं, लेकिन शिवरीनारायण क्षेत्र के ईंट भट्ठों में इन्हीं गधों से ईंट भट्ठा संचालक का करोड़ों रुपए का टर्न ओवर है। यहां के ईंट भट्ठों में मध्यप्रदेश के सतना, मैहर, पटना, छतरपुर सहित कई जिलों के सैकड़ों की तादाद में श्रमिक गधों के माध्यम से अपना जीविकोपार्जन कर रहे हैं। वहीं ईंट भट्ठा संचालक भी अच्छी कमाई कर रहा है।
CG News: दरअसल, हाईटेक दुनिया में एक ओर जहां उद्योगों में अत्याधुनिक मशीनों का डंका बज रहा है। वहीं दूसरी ओर आज भी विलुप्तप्राय गधों की उपयोगिता बरकरार है। आपको बता दें कि, शिवरीनारायण तनौद, देवरी, नवागांव में ऐसे एक दर्जन से अधिक ईंट भट्ठा संचालित है, जहां मध्यप्रदेश के श्रमिक यहां आकर इन्हीं गधों के माध्यम से अपना पेट पाल रहे हैं।
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दरअसल, ईंट भट्ठों में श्रमिक ईंट बनाने के बाद चिमनी तक ढुलाई के लिए इन्हीं गधों को इस्तेमाल करते हैं। यहां बड़ी बात यह है कि गधे ईंट भट्ठों में ईंट की ढुलाई के लिए मशीन से अधिक तेज गति से काम करते हैं। उन्हें इशारे की भी जरूरत नहीं पड़ती।
एक-एक गधों में एक खेप में 50 से 60 ईंट भरकर चिमनी तक छोड़ते हैं। दिन भर में एक गधों से 70 से 80 हजार तक ईंटों की ढुलाई की जाती है। एक ओर श्रमिकों के द्वारा बनाई गई लाखों ईंटों को पलक झपकते चिमनी तक छोड़ देते हैं।
CG News: डीजल पेट्रोल की बचत, केवल भूसा ही भोजन
मशीनी युग में एक ओर पेट्रोल डीजल की महंगाई से लोग उबर नहीं पा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आज भी गधों का इस्तेमाल कर हर रोज लाखों रुपए के फ्यूल की बचत कर रहे हैं। ट्रेलर, डंपर, हाइवा, ट्रैक्टर जैसे मशीन का इस्तेमाल करने पर ईंट भट्ठा संचालकों को जहां लाखों रुपए खर्च करना पड़ता वहीं गधों से ईंटों की ढुलाई करने में मात्र चंद रुपयों की जरूरत पड़ती है।
वह भी धान से निकले कोढ़ा व भूसे के इनका पेट भर जाता है। ईंट भट्ठा संचालकों के द्वारा ही इनकी भरपाई कर ली जाती है। इन जानवरों से मात्र सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक ही काम लिया जाता है। फिर गधे अपने बूते ही आसपास के इलाके में चरकर अपना पेट भर लेते हैं।
CG News: सैकड़ों परिवार आते हैं छह माह के लिए कमाने खाने
पूरे देश में जहां छत्तीसगढ़ के लोग जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा सहित अन्य प्रदेशों में पलायन करते हैं तो वहीं मध्यप्रदेश के लोग छत्तीसगढ़ के कई जिलों में पलायन कर ईंट भट्ठो में काम कर जीविकोपार्जन करते हैं। खासकर जांजगीर चांपा जिले के शिवरीनारायण तनौद, देवरी, नवागांव के इलाको में गधे लेकर अपना जीविकोपार्जन कर रहे हैं।
Janjgir champa News: इस बार बेमौसम बारिश से धंधा चौपट
बेमौसम बारिश के चलते ईंट भट्ठे का कारोबार इस वर्ष अच्छा खासा प्रभावित हुआ है। मैहर जिले के जितेंद्र बेल्दार, सतना जिले के शनी बेल्दार, पन्ना जिले के प्रकाश बेल्दार ने बताया कि वे छह माह में 50 से 60 हजार रुपए प्रति परिवार के हिसाब से कमाई की आस लेकर यहां आए थे, लेकिन बेमौसम बारिश के चलते सब गड़ब़ड़ हो गया। क्योंकि बारिश में ईंट भीगकर मिट्टी में तब्दील हो जाता है। ऐसे में उनकी रोजी रोटी प्रभावित होती है। उन्हें भुगतान तब होता है जब तक ईंट पककर तैयार न हो जाए।