अतिरिक्त लोक अभियोजक के मुताबिक, पहलापारा घोघरानाला स्थित घर में पालाबाई अकेली रहती थी। भिक्षावृत्ति और पेंशन के सहारे गुजारा करती थी। पालाबाई रोजाना रात में जल्दी सो जाती थी और सुबह 4-5 बजे तक उठ जाती थी। 7 दिसंबर 2022 को सुबह 7 बजे तक भी जब पालाबाई के घर का दरवाजा नहीं खुला तो अशोक सिदार एवं धरमलाल सिदार ने आपस में चर्चा कि पालाबाई के घर का दरवाजा अब तक कैसे बंद है।
धरम सिदार ने दरवाजा धकेला तो दरवाजा खुल गया। अंदर पालाबाई खाट में अचेत पड़ी थी। गले में चोट का निशान था और कपड़ों में खून के दाग थे। जानकारी लगने पर वार्षद अनिल रात्रे व आसपास के लोग भी वहां पहुंच गए। पुलिस को सूचना दी गई जिस पर जुर्म दर्ज कर विवेचना शुरू की। इस दौरान मुखबिर से मिली सूचना पर संदेह के आधार पर पुलिस ने सुजीत एवं अमन से पूछताछ की। तब उन्होंने जुर्म कबूल कर लिया। दोनों चोरी की नीयत से पालाबाई के घर गए थे परन्तु दरवाजा खोलने से वह जाग गई तो सुजीत ने मुंह दबाकर घर में रखे सब्जी काटने वाले चाकू से पालाबाई का गला काट दिया। इसके बाद घर में रखे 1000 रुपए नकद, कांस की दो थाली-कटोरी, बैंक पास को आरोपी चुरा ले गए।
आरोपियों से उक्त सामान बरामद किया गया।
विवेचना पूरी कर पुलिस ने अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया जहां संपूर्ण साक्ष्य और गवाहों के बयान के बाद हत्या का दोष सिद्ध पाए जाने पर तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार बारा ने आरोपी तिसरापारा घोघरानाला निवासी सुजीत पिता संतोष यादव उम्र 23 वर्ष व अधूरा चौक बेलदार पारा चांपा निवासी अमन पिताराम प्रसाद केंवट उम्र 19 को भादवि की धारा 457 के तहत 10 वर्ष सश्रम कारावास, 302 के तहत आजीवन कारावास व धारा 380 के तहत 3 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई।