गांव-गांव में
झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। इनके गलत इलाज की वजह से लोगों की जान जा रही है। इसके बाद भी जिला प्रशासन हाथ में हाथ धरे बैठी है। एक ओर जिले में स्वच्छ जांजगीर अभियान चलाया जा रहा है तो वहीं मौत के सौदागरों पर कार्रवाई करने स्वास्थ्य विभाग चुप्पी साधे हैं। कुछ इसी तरह के गलत इलाज के चलते एक गर्भवती महिला की जान चली गई।
बताया जा रहा है कि हीरागढ़ निवासी रुखमणि कश्यप पति सहदेव कश्यप चार माह की गर्भवती थी। वह दो सितंबर के पहले से बीमार थी। उसने सिऊंड के बंगाली डॉक्टर से संपर्क किया। उक्त झोलाछाप डॉक्टर ने न जाने ऐसी कौन सी दवा दी इसके चलते मरीज की जान ही चली गई।
इधर घटना की खबर तीन दिन तक दबी रही। इस बात की खबर जब मीडिया में सुर्खियों में आई तो पुलिस ने इसे गंभीरता से लिया और आरोपी को गिरफ्तार करने में जुट गई। शनिवार की शाम को पुलिस हरकत में आई और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। उक्त डॉक्टर से पुलिस पूछताछ कर रही है।
हर गांव में फल-फूल रहा इनका कारोबार
ऐसा नहीं है कि झोलाछाप डॉक्टर के गलत इलाज से जिले में एक मौत हुई है। ऐसे दर्जनों मामले हैं जिसमें ऐसे नीम हकीम के गलत इलाज से मौतें हुई है। इसके बाद भी जिला प्रशासन व
स्वास्थ्य विभाग ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं कर रही है। दरअसल, ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों का संबंध स्थानीय बीएमओ से रहता है। कई बीएमओ का तो ऐसे झोलाछाप से महीना बंधा है। इसके चलते इन पार कार्रवाई नहीं की जाती। जब केस बिगड़ता है तो इन्हें बचाने वाले शहरी क्षेत्र के डॉक्टर भी सामने आते हैं। क्योंकि बड़े डॉक्टरों का सीधा संपर्क ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों से रहता है। जो बड़े क्लीनिक में अपना पेशेंट भेजते हैं।