अपने संबोधन में उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने कहा कि पिछला साल जम्मू कश्मीर के लिए बदलाव का साल था। अस्थायी प्रावधानों के निरस्तीकरण ने जम्मू-कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों के बीच वित्तीय और कानूनी बाधाओं को दूर कर दिया है। इसने अपने वास्तविक अर्थों में जम्मू और कश्मीर को एकजुट किया है।
यह गणतंत्र दिवस जम्मू-कश्मीर के लिए बेहद खास है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद यह पहला गणतंत्र दिवस है। इस वजह से लोगों में काफी उत्साह दिख रहा है। उन्होंने कहा की अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर और भारत के बीच कानूनी और आर्थिक अड़चनें दूर हो गई है। सही मायनों में जम्मू—कश्मीर का भारत के साथ विलय हो गया है। अब देश का कानूनी ढांचा जम्मू-कश्मीर में भी लागू हो चुका है। महिलाओं, गरीब तबके के लोगों, अनुसूचित जाति, जनजाति, पश्चिमी पाकिस्तान के रिफ्यूजियों और सफाई कर्मचारियों को अब बराबर के लोकतांत्रिक और आर्थिक अधिकार हासिल हो गए है। औद्योगिक विकास और व्यापार के अड़चनें भी दूर हो गई है। अस्थायी प्रावधानों के निरस्तीकरण ने जम्मू-कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों के बीच वित्तीय और कानूनी बाधाओं को दूर कर दिया है। अब गलतफहमियों को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम अपने गणतांत्रिक मूल्यों का पालन करने के लिए उनके प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करें।
उन्होंने आतंकवाद से लड़ रही पुलिस और सुरक्षा बलों की प्रशंसा करते हुए कहा कि कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने में सुरक्षा बल अहम भूमिका निभा रहे है। हिंसा में मरने वाले लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि आतंकवाद एक चिंता का विषय है जिसमें युवाओं को गलत रास्ते पर ले जाया जाता है। हालांकि आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है लेकिन आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए सतर्क रहना चाहिए। हमारे सुरक्षा बलों को सतर्क रहकर जम्मू-कश्मीर में शांति भंग करने के प्रयास करने वालों के मंसूबों को नाकाम बनाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर इस समय बेहतर भविष्य के दरवाजे पर खड़ा है। जम्मू-कश्मीर में निजी निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा और जम्मू-कश्मीर के लोगों के बेहतर अवसर पैदा होंगे। अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और लोगों को अधिक से अधिक आर्थिक गतिविधियों का फायदा मिलेगा। जम्मू कश्मीर में 55 केंद्रीय योजनाएं जिसमें स्कालरशिप, पेंशन, इंश्योरेंस आदि अन्य शामिल है, का सौ प्रतिशत फायदा लोगों को दिया जा रहा है। पहली जनवरी 2020 से जम्मू कश्मीर में सभी टोल पोस्टों को समाप्त कर दिया गया है।