दरअसल, अयोध्या में बने भगवान राम के मंदिर में लगने वाले मुख्य ध्वज स्तंभ, अन्य ध्वज स्तंभ और दानपात्र समेत ब्रास से बनने वाले अन्य आइटम का कार्य अहमदाबाद के गोता में अंबिका इंजीनियरिंग के भरत भाई मेवाड़ा को मिला था। वहां पर ध्वज दंड के फिटिंग का कार्य जालोर के दीगांव निवासी हरचंदराम पुत्र बोगाराम और कन्हैयालाल सुथार देलदर की और किया गया। मंदिर में लगने वाले मुख्य ध्वज दंड समेत अन्य सभी ध्वज दंड और यहां लगने वाले दानपात्र समेत ब्रास के अन्य आइटम पर कार्विंग वर्क की सुंदर और मनमोहक नक्काशी सीएनएसी के माध्यम से डिजायन आर्ट के मालिक जालोर जिले के शंखवाली ग्राम पंचायत के आकोरापादर निवासी दीपेशकुमार पुत्र वागाराम सुथार की ओर से गई। कारखाने में तैयार होकर रखे गए इन ब्रास के आइटम पर की गई सुंदर नक्काशी देखकर एक बारगी नजर ठहर जाती है। मुख्य ध्वज स्तंभ और अन्य ध्वज स्तंभ एक-दो दिन में अयोध्या पहुंच जाएंगे।
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ऐसा होगा मुख्य स्तंभ
मुख्य शिखर स्तम्भ की ऊंचाई 44 फीट है। वहीं इसकी गोलाई डेढ फीट की है। इस स्तंभ का वजन करीब 5500 किलोग्राम है। इसमें एक-एक क्विंटल के 21 रिंग लगी हुए है। इसके अलावा अन्य छह छोटे ध्वज स्तंभों का निर्माण किया गया है। इनकी लम्बाई 21 फीट है और प्रत्येक का वजन 750 किलोग्राम है। राम मंदिर में लगे विभिन्न 42 दरवाजों पर ब्रास की हार्डवेयर सामग्री भी यहां पर तैयार की गई है।