परिवादी ने प्रार्थना पत्र में जो तथ्य बताए हैं, अनुसंधान अधिकारी को उन्हें भी देखना चाहिए। परिवादी इमरान के अधिवक्ता जमील अहमद ने बताया कि अदालत ने जो आदेश दिया है उसके अनुसार पुलिस को रेहाना का शव कब्र से निकालकर उसका पोस्टमार्टम कराना होगा।
शव को जिस तरह से दफनाया जाता है उससे उसे लम्बे समय तक कोई नुकसान नहीं होता। ऐसे में पोस्टमार्टम कराने में कोई परेशानी नहीं होगी। इधर इस मामले के अनुसंधान अधिकारी एससी एसटी सेल के उप अधीक्षक राजेश मेश्राम का कहना है कि उन्होंने आदेश नहीं देखा है। लेकिन अदालत ने यदि पोस्टमार्टम कराने का आदेश दिया है तो वे उसकी पालना करेंगे।
गौरतलब है कि 26 अक्टूबर की रात किशोरपुरा थाने के तत्कालीन सीआई देरावर सिंह के घर चोरी हुई थी। इस मामले में पुलिस ने साजीदेहड़ा निवासी मोहम्मद इमरान को अवैध रूप से 4 दिन तक हिरासत में रखकर मारपीट की थी।
इमरान की ओर से अदालत में पेश प्रार्थना पत्र में कहा कि जब उसकी पत्नी रेहाना थाने में उससे मिलने आई तो पुलिसकर्मियों ने उसे भी धक्का देकर गिरा दिया था। इससे वह उल्टियां करने लगी थी। अस्पताल में ले जाते समय 31 अक्टूबर को उसकी मौत हो गई थी। प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया था कि पुलिसकर्मियों द्वारा मारपीट करने के निशान रेहाना के शरीर पर हैं।
इस मामले में सीआई देरावर सिंह की पत्नी व अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए।