फरियादी होते हैं परेशान
कई बार इन थानों के बाहर कोई घटनाक्रम या दुर्घटना होती है तो फरियादी अपनी रिपोर्ट लेकर थानों में जाते है तो पुलिस उन्हें दूसरे थाने में भेज देती है। इससे फरियादी काफी परेशान होते हैं। फरियादी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि उनके साथ में बूंदी सदर थाने के बाहर घटना हो गई थी। इसकी रिपोर्ट दर्ज कराने वह थाने गए तो उन्हें वहां से कोतवाली थाने भेज दिया। ऐसे में घटना के बाद फरियादी की परेशानी कम होने की जगह और बढ़ गई। यदि सदर थाना कोतवाली थाना क्षेत्र में बना हुआ है तो यह गलत है। उस क्षेत्र को सदर इलाके में जोड़ना चाहिए। सरकार को इस थाने के लिए नोटिफिकेशन जारी कर कोतवाली थाने से बाहर करना चाहिए। जब जाकर यह परेशानी दूर होगी। प्रदेशभर में यदि इस तरह के थाने संचालित हो रहे हैं, जल्द सुधार करके इस बारे में प्रकाशित करना चाहिए।
योगेन्द्र जोशी, रिटायर्ड एएसपी केस 1: बूंदी का सदर थाना जहां बना है, वह क्षेत्र कोतवाली थाना इलाके में है। ऐसे में थाना परिसर या फिर बाहर कोई भी घटनाक्रम होता है तो उसकी रिपोर्ट कोतवाली थाने में दर्ज होती है। इससे कार्रवाई में वक्त लगता है।
केस 2: जयपुर का सांगानेर थाना इंडिया गेट जगह पर है। यदि वहां काई घटना होती है तो उसकी शिकायत थाना मालपुरा गेट में दर्ज होती है। दोनों थानों की दूरी करीब 2 किमी है। इससे त्वरित कार्रवाई में समय लगता है।
बूंदी का सदर थाना जिस जगह पर चलता है, वह क्षेत्र बूंदी कोतवाली थाने के तहत आता है। ऐसे में थाना क्षेत्र में कोई घटना होती है तो उसकी रिपोर्ट कोतवाली थाने में दर्ज होती है। सदर थाने का इलाका उसकी बिल्डिंग से 500 मीटर दूर शुरू होता है।
उमा शर्मा, एडिशनल एसपी, बूंदी