पंडित दिलीप दुवे ने बताया है कि जो व्यक्ति महामृत्युंजय मंत्र को सिद्ध कर ले, तो वह निश्चित ही शिव धाम को प्राप्त कर लेता है। Maha Mrityunjaya Mantra आपको न केवल मृत्यु भय से मुक्ति दिलाता है, बल्कि आपकी मृत्यु का समय भी टाल सकता है। महामृत्युंजय मंत्र का सवा लाख बार निरन्तर जाप करने से भयंकर बीमारी और घातक ग्रहों के Side Effects को खत्म किया जा सकता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से आत्मा के कर्म शुद्ध हो जाते हैं और आयु, यश की प्राप्ति भी होती है। इसके साथ ही यह महामृत्युंजय मंत्र मानसिक, भावनात्मक, शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है, लेकिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप में कुछ सावधानियां रखना भी बहुत जरूरी होता है क्योंकि महामृत्युंजय मंत्र का संपूर्ण लाभ प्राप्त तभी मिलेगा जब इसका सही प्रकार से उच्चारण किया जा सके। ऐसा नही करने पर अनेक प्रकार के अनिष्ट होने की संभावना बनी रहती है।
अनुराधा पौडवाल की आवाज में डाउनलोड कर सकते हैं महामृत्युंजय मंत्र
अगर आपको Maha Mrityunjaya Mantra के जाप का उच्चारण करने परेशानी होती है तो आप महामृत्युंजय मंत्र का गाना mp3 में डाउनलोड करके कर सकते हैं। ऐसा भी बताया जा रहा है कि जिन लोगों को यह मंत्र नहीं आता है, वह भी इंटरनेट के माध्यम से इस मंत्र का mp3 में अनुराधा पौडवाल की आवाज में गाना डाउनलोड कर सकते हैं और जाप भी कर सकते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र
ऊँ हौं जूं सः। ऊॅ भूः भुवः स्वः ऊॅ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उव्र्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।। ऊॅ स्वः भुवः भूः ऊॅ। ऊॅ सः जूं हौं ।।
महामृत्युंजय मंत्र का भावार्थ
हम तीन नेत्र वाले भगवान शंकर की पूजा करते हैं जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से कर रहे हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि जिस प्रकार एक ककड़ी अपनी बेल में पक जाने के उपरांत उस बेल-रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाती है, उसी प्रकार हम भी इस संसार-रूपी बेल में पक जाने के उपरांत जन्म-मृत्यु के बंधनों से सदा के लिए मुक्त हो जाएं तथा आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्यागकर आप ही में लीन हो जाएं और मोक्ष प्राप्त कर लें।
महामृत्युंजय मंत्र के लाभ
महामृत्युंजय मंत्र ऋग्वेद का एक श्लोक है। स्वयं या परिवार में किसी अन्य व्यक्ति के अस्वस्थ होने पर इस मन्त्र का जाप अति उत्तम माना जाता है। महामृत्युंजय मंत्र शोक, मृत्यु भय, अनिश्चता, रोग, दोष का प्रभाव कम करने में, पापों का सर्वनाश करने में अत्यंत लाभकारी है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना सदैव मंगलकारी होता है। परिवार में किसी को असाध्य रोग हो जाने पर अथवा जब किसी बड़ी बीमारी से उसके बचने की सम्भावना बहुत कम हो तो महामृत्युंजय मंत्र जाप लाभकारी होता है। महामृत्युंजय मंत्र का अनुष्ठान कराने से अनिष्ट ग्रहों से शांति मिलती है। महामृत्युंजय मंत्र जाप के बाद 21 बार गायत्री मन्त्र का जाप करना चाहिए जिससे महामृत्युंजय मन्त्र का अशुद्ध उच्चारण होने पर भी पर अनिष्ट होने का भय नही रहता है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप दूध में निहारते हुए किया जाए और फिर वह दूध पी लिया जाए तो यौवन की सुरक्षा में भी सहायता मिलती है।
मन्त्र जाप की सावधानियां
1. महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण पूर्णरूप से शुद्ध हो।
2. प्रतिदिन एक निश्चित संख्या में जप करें। पूर्व दिवस में जपे गए मंत्रों से, आगामी दिनों में कममंत्रों का जप न करें। यदि चाहें तो अधिक जप सकते हैं।
3. महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण होठों से बाहर नहीं आना चाहिए।
4. जब तक महामृत्युंजय मंत्र का जप काल चल रहा हो तब तक धूप-दीप जलते रहना चाहिए।
5. महामृत्युंजय मंत्र का जात रुद्राक्ष की माला से ही करना चाहिए और माला को गौमुखी में रखना चाहिए। जब तक जप की संख्या पूर्ण न हो, माला को गौमुखी से बाहर न निकालें।
6. महामृत्युंजय मंत्र जप काल में शिवजी की प्रतिमा, तस्वीर, शिवलिंग या महामृत्युंजय यंत्र पास में रखना अनिवार्य है।
7. महामृत्युंजय के सभी जप कुशा के आसन के ऊपर बैठकर करें।
8. महामृत्युंजय मंत्र जाप करते समय दुध मिले जल से भगवान शिवलिंग का अभिषेक करते रहना चाहिए।
9. महामृत्युंजय मंत्र का जाप पूर्व दिशा की तरफ मुख करके करना चाहिए।
10. महामृत्युंजय मंत्र का जाप जिस स्थान पर शुरू किया है प्रतिदिन उसी जगह पर जाप करना चाहिए।
11. महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने समय आलस्य व उबासी न आए इसका ध्यान रखे।
12. महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने समय बातें न करें और साथ ही जपकाल में स्त्री सेवन, मांसाहार का सेवन नही करना चाहिए।