अपनी अद्भुत धार्मिक मान्यता की वजह से कालपी का लंका मीनार मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है। लंका मीनार को नगर के मोहल्ला रावगंज के मथुरा प्रसाद निगम उर्फ लंकेश ने बहुत पहले बनवाया था। वे रामलीला में रावण का किरदार निभाते थे। और रावण से इतने प्रेरित थे कि लंका मीनार बनवा डाली। भाई-बहन के एक साथ मीनार पर न चढऩे की जानकारी भी लंका मीनार के बाहर लिखी है। हालांकि, यह बात कहीं इतिहास में दर्ज नही है। यह केवल किवदंती है। फिर भी इस अंधविश्वास का स्थानीय लोग वर्षों से पालन करते आ रहे हैं।
लंका मीनार मंदिर परिसर में रावण के पूरे परिवार की मूर्तियां स्थापित हैं। रामचरित मानस के अयोध्याकांड में जितने भी देवी-देवताओं का वर्णन है उनके चित्र लंका मीनार में बने हैं। सौ फीट के कुंभकर्ण और 65 फीट ऊंचे मेघनाद की प्रतिमाएं हैं। जबकि, रावण की विशाल प्रतिमा के सामने चित्रगुप्त मंदिर है। मीनार परिसर में एक शिव मंदिर भी है, जिसे इस तरह बनवाया गया कि रावण को हर पल भोलेनाथ के दर्शन होते रहें। यहां से 12 माह, 24 घंटे रावण की दृष्टि शिवलिंग पर पड़ती है। यहां 180 फीट लंबी नाग देवता की मूर्ति भी स्थापित है। यह मूर्ति नागिन गेट पर बनाई गई है।
जनश्रुति है कि एक मुस्लिम कारीगर अजीम लंका मीनार का वास्तुकार था। उसी की देखरेख में 20 सालों में इस मीनार का निर्माण कार्य हुआ था। मंदिर कौड़ी, केशर, शीप, दाल, गुड़ और चूने आदि के मिश्रण से बनाया गया। तब इसी तरह के मसाले से मंदिर और कुंए बनते थे। अपनी इस अजीब मान्यता के चलते लंका मीनार आज एक टूरिस्ट स्पॉट बन चुकी है। इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
नवविवाहित जोड़े यहां अक्सर आते हैं और अपने वैवाहिक जीवन को और मजबूत करने करने के लिए मीनार के फेरे लगाते हैं। मान्यता है कि जिनके वैवाहिक जीवन में कुछ खटपट चल रही है वे लंका मीनार का फेरे लगा लें तो वैवाहिक जीवन में फिर से उत्साह भर जाता है। मनमुटाव दूर हो जाता है। इसके अलावा प्रेमी जोड़े भी अक्सर मीनार का चक्कर लगाने यहां आते हैं।