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फ्लाईओवर के लिये मंदिर-मस्जिद हटाने को तैयार हिंदू-मुसलमान, पेश की मिसाल

राष्ट्रीय राजमार्ग पुल बनाने के लिये हिंदूओं औऱ मुस्लिमों ने अपने-अपने इबादतगाहों को दूसरे स्थान पर ले जाने की रजामंदी दे दी…

जालौनSep 13, 2018 / 06:03 pm

Hariom Dwivedi

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जालौन. राम मंदिर निर्माण पर हिंदू-मुस्लिम पक्षकार टस से मस नहीं हो रहे हैं। कोई भी पक्ष अपना कब्जा छोड़ना नहीं चाहता, वहीं यूपी के जालौन जिल में दोनों समुदायों के लोगों की समझदारी ने देश-प्रदेश के सामने मिसाल कायम करने का काम किया है। राष्ट्रीय राजमार्ग पुल बनाने के लिये हिंदूओं औऱ मुस्लिमों ने अपने-अपने इबादतगाहों को दूसरे स्थान पर ले जाने की रजामंदी दे दी।
कानपुर-झांसी नेशनल हाईवे पर कालपी खंड के बीच ट्रैफिक की समस्या को देखते हुए भारतीय राष्‍ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यहां डेढ़ किलोमीटर लम्‍बा फ्लाईओवर बनाना चाहता है, लेकिन पुल निर्माण के मार्ग में दो मंदिर, सात मजारें और एक मस्जिद आ रही थीं, जिसके कारण पुल का काम रुका हुआ था। प्राधिकरण 14 साल से पुल बनवाने का काम रोके था, क्योंकि साढ़े पांच मीटर की सर्विस रोड बनाने मार्ग में ये इबादतगाह आ रहे थे। आपसी सहमति से हिंदुओं और मुसलमानों ने इन इबादतगाहों को दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने का फैसला लिया। इतना ही नहीं फ्लाईओवर निर्माण के रास्ते में पड़ रही दरगाह की एक दीवार को भी आपसी सहमति से गिरवाने का फैसला लिया।
पुलिस अधीक्षक बोले
डॉक्‍टर अरविंद चतुर्वेदी, पुलिस अधीक्षक (जालौन) ने बताया कि कानपुर-झांसी राष्‍ट्रीय राजमार्ग पर कालपी खंड के बीच प्लाईओवर बनवाने का मामला पिछले 14 सालों से अटका हुआ था। जिला प्रशासन और पुलिस ने मामला सुलझाने के लिए दोनों समुदायों के पक्षकारों से कई दौर की वार्ता की। बीते आठ सितंबर को हिंदू और मुसलमान दोनों ही समुदाय के लोग अपने-अपने पूजा स्थलों को दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने को रजामंद हो गये। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि ‘ऑपरेशन सहयोग’ के तहत शिव मंदिर हटाया जा चुका है। नया मंदिर बनते ही दुर्गा मंदिर के गर्भगृह को उसमें शिफ्ट कर दिया जाएगा। इसके लिये स्थान भी चिन्हित हो चुका है। इसके अलावा मार्ग में आने वाली सातों मजारों को भी स्थानांतरित कर दिया गया है। एक मस्जिद को भी दूसरे स्थान पर ले जाया गया है।
आपसी सहमति से हुआ संभव : डीएम
जालौन के जिलाधिकारी मन्‍नान अख्‍तर ने बताया कि सभी धार्मिक स्थलों को एक ही दिन विस्थापित किया गया, जिसमें हिंदू और मुसलमान दोनों समुदाय के लोगों ने सहयोग किया। पिछले पांच-छह महीनों की बैठक के बाद ही यह सफलता मिल सकी है। ऐसा करने से पहले दोनों समुदायों की सहमति जरूरी थी, जिसे लेकर ही हमने ये काम किया है।
फोटो- प्रतीकात्मक तस्वीर

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