दुनिया में इतनी बड़ी रिहाइश वाले चंद किलों में शामिल सोनार दुर्ग की होटलों व गेस्ट हाउस में ठहरने के प्रति सैलानियों में आरंभ से विशेष आकर्षण रहा है। सैलानियों की आवक के चलते ही दुर्ग में एक के बाद एक रहने के ठिकाने विकसित हुए। विगत वर्षों के दौरान घरेलू सैलानी भी बड़ी संख्या में यहां की होटलों आदि में रुकते हैं। भारत में अमेरिका के राजदूत रहने के दौरान रॉबर्ट ब्लैकविल से लेकर योगगुरु रामदेव जैसी हस्तियां भी यहां मेहमान रह चुकी हैं। सैकड़ों साल पुरानी रिहाइश में कुछ दिन ठहरकर सैलानी खुद को भाग्यशाली समझते हैं, लेकिन अब मंजर बदल रहा है।
कई गाइडबुक्स में यहां तक कहा गया कि, सोनार किले को संरक्षित रखने के लिए यहां नहीं ठहरा जाए। इसका सैलानियों में व्यापक प्रभाव भी देखा गया। इसके पीछे तर्क यह दिया जाता है कि सोनार दुर्ग पर विगत वर्षों के दौरान सीवरेज लाइन की विफलता और निर्माण कार्यों के आधिक्य ने भार बढ़ाने का काम किया। गाइड बुक्स में दुर्ग में बढ़ते आबादी भार का हवाला दिया जाता है, लेकिन यहां के पर्यटन व्यवसायियों का आरोप है कि पर्यटन से जुड़ा एक समूह किले के बारे में भ्रामक जानकारियां प्रकाशित करवा रहे हैं, जिससे किले का पर्यटन समाप्त हो तो उन्हें फायदा हो सके।
सुधारात्मक स्वर भी उठ रहे
दुर्ग के प्रति सैलानियों का मोहभंग न हो, इसके लिए पिछले कुछअर्से के दौरान यहां के पर्यटन व्यवसायियों के अलावा कई प्रबुद्धनिवासी व्यावसायिकरण में मर्यादा की पालना करने की वकालत भी कर रहे हैं। मसलन दुर्ग की दीवारों पर हैंडीक्राफ्ट व्यवसायियों की तरफ से अपने उत्पाद फैलाकर रखे जाने व मनमाने ढंग से केबिन व ठेले आदि लगाने से सैलानियों को फोटोग्राफी तक में दिक्कतें आती हैं। ऐसे ही तंग गलियों में रखे जाने वाले साइन बोर्ड भी अन्य लोगों के साथ सैलानियों के भ्रमण की राह का रोड़ा बना हुए हैं। सोशल मीडिया के मंच पर इन सब प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाने की जरूरत पर जोर दिया जा रहा है।
-850 वर्ष से ज्यादा पुराना है जैसलमेर का सोनार दुर्ग
-3000 की आबादी निवास करती है किले के भीतर
-100 के करीब व्यावसायिक प्रतिष्ठान हो रहे संचालित
-5 लाख से ज्यादा सैलानी प्रतिवर्ष पहुंचते हैं सोनार दुर्ग
सोनार दुर्ग में सैलानियों के ठहरने के लिए सुरक्ष् िात स्थान बने हुए हैं, लेकिन कुछ लोग दुर्ग के पर्यटन को नाकाम करने का षड्यंत्र कर रहे हैं। नई सीवरेज लाइन से जल रिसाव की समस्या का भी लगभग समाधान हो गया है।
-चन्द्रशेखर श्रीपत, होटल व्यवसायी
सोनार दुर्ग में रुकने की इच्छा रखने वाले विदेषी सैलानियों को कईजने मिस गाइड करते है, जबकि दुर्ग में घूमते समय सैलानी कहते हैं कि उन्हें यहां स्पेन और फ्रांस के कलात्मक प्राचीन मोन्यूमेंट भ्रमण जैसी अनुभूति होती है।
-पदमसिंह, अध्यक्ष, टूरिस्ट गाइडवेलफेयर सोसायटी