स्वर्णनगरी गुलजार, लेकिन व्यवस्थाओं का हाल-बदहाल
जैसलमेर में पिछले 19 से 22 दिसम्बर के दौरान जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक के दौरान और उससे एक-दो रोज पहले की गई शानदार व्यवस्थाओं ने हर किसी को जिम्मेदार तंत्र का मुरीद बना दिया लेकिन अब सब कुछ पुराने ढर्रे पर लौटता दिखाई दे रहा है।
जैसलमेर में पिछले 19 से 22 दिसम्बर के दौरान जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक के दौरान और उससे एक-दो रोज पहले की गई शानदार व्यवस्थाओं ने हर किसी को जिम्मेदार तंत्र का मुरीद बना दिया लेकिन अब सब कुछ पुराने ढर्रे पर लौटता दिखाई दे रहा है। गौरतलब है कि स्वर्णनगरी में क्रिसमस और आगामी दिनों में नववर्ष का जश्न मनाने के लिए प्रतिदिन हजारों की संख्या में देशी और अनेक विदेशी पर्यटक पहुंच रहे हैं। उन्हें वीवीआइपी वाली आवभगत भले ही नहीं मिले लेकिन उन्हें मेहमान मानते हुए जरूरी व्यवस्थाएं बनाए रखना तो तमाम जिम्मेदारों की जिम्मेदारी बनती ही है। दिक्कत यह है कि जिम्मेदारी का यह भाव नजर नहीं आ रहा है। शहर के दर्शनीय स्थलों से लेकर पर्यटकों के ठहराव व आवाजाही वाले मार्गों पर वाहनों की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित नहीं किए जाने से दिन में कई -कई बार जाम लग रहे हैं। ये जाम गड़ीसर चौराहा से पंचायत समिति सम कार्यालय तक के मार्ग, चार पहिया वाहनों से पटवा हवेली जाने वाले एकमात्र गीता आश्रम चौराहा से कलाकार कॉलोनी होते हुए जाने वाली सडक़, दर्जनों होटलों की उपस्थिति वाला ढिब्बा पाड़ा का क्षेत्र, किला पार्किंग, शिव मार्ग आदि पर नमूदार होते हैं। इससे पर्यटक बेजा रूप से परेशान हो रहे हैं और उनके साथ स्थानीय बाशिंदे भी हैरान नजर आते हैं।
अवरोधों से परेशानी
- शहर के प्रमुख मार्गों पर इन दिनों कलात्मक डिवाइडर निर्माण का कार्य चल रहा है और सैलानियों की सर्वाधिक भीड़ वाले इस समय में काम में प्रयुक्त होने वाली मशीनरी, जनरेटर व रखे गए पत्थरों आदि की वजह से आवाजाही का मार्ग संकरा हो रहा है।
- स्वच्छंद घूमने वाले पशुधन को मुख्य मार्गों से गत दिनों जीएसटी काउंसिल बैठक से पहले हटाया गया था लेकिन अब वे फिर से सडक़ों पर उतरने के लिए स्वतंत्र हैं। दुर्ग के मुख्य द्वार से लेकर प्रमुख बाजारों तक में ये बेसहारा छोड़े गए पशु सुचारू यातायात में बाधा बन रहे हैं।
- साफ-सफाई का स्तर पिछले दिनों जितना सुधरा था, वह अपने आप में सराहनीय रहा। अब इस क्षेत्र में भी शिथिलता नजर आ रही है। सैलानियों के पैदल भ्रमण वाले इलाकों में भी कचरा बिखरा नजर आ जाता है।
- सोनार दुर्ग में टैक्सियों की आवाजाही पर फिलहाल दोपहर तक रोक है लेकिन उसके बाद उन पर नियंत्रण नहीं होने से हालात खराब हो जाते हैं।
- पटवा हवेलियों की खूबसूरती को निहारने भी रोजाना बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। इस जगह पर टैक्सियां इतनी संख्या में पहुंच जाती हैं, जिससे वहां से पर्यटकों को पैदल आवाजाही करने में भी परेशानियां पेश आती हैं। यातायात पुलिस का कोई कार्मिक वहां नजर नहीं आता।
- सडक़ों पर ठेले वालों पर अब अंकुश दिखाई नहीं देता। गड़ीसर सरोवर क्षेत्र में सुबह के अलावा शाम के समय पर्यटक भारी संख्या में उमड़ते हैं। उनके लिए व्यवस्थाओं में सुधार लाया जाना आवश्यक है।
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