scriptजैसलमेर नगर के आराध्य: भगवान लक्ष्मीनाथ पर अपार अटूट श्रद्धा | Patrika News
जैसलमेर

जैसलमेर नगर के आराध्य: भगवान लक्ष्मीनाथ पर अपार अटूट श्रद्धा

जैसलमेर आने वाले पर्यटक प्राय: पूछते है इस मरुस्थली पिछड़े भू-भाग में इतने सुन्दर एवं भव्य, किला, मंदिर महल एवं हवेलियां कैसे बन गए? तब उन्हें बताया जाता है कि यह रेतीला क्षेत्र किसी समय में हिन्दुस्तान का माना हुआ व्यापारिक केन्द्र था।

जैसलमेरOct 30, 2024 / 08:32 pm

Deepak Vyas

jsm news
जैसलमेर आने वाले पर्यटक प्राय: पूछते है इस मरुस्थली पिछड़े भू-भाग में इतने सुन्दर एवं भव्य, किला, मंदिर महल एवं हवेलियां कैसे बन गए? तब उन्हें बताया जाता है कि यह रेतीला क्षेत्र किसी समय में हिन्दुस्तान का माना हुआ व्यापारिक केन्द्र था। इसी भू-भाग से ईराक, ईरान अरब देशों को बहुमूल्य वस्तुओं का आयात-निर्यात किया जाता था। यही कारण भी है कि जैसलमेर में व्यापार के बल पर लक्ष्मी का प्रवाह भरपूर था। जैसलमेर के व्यापारी उच्च महत्वाकांक्षी थे। धन प्राप्ति के लिए वे नियमित परिश्रम तो करते ही थे, साथ ही ईमानदारी तथा गहन भक्ति व साधना कर भक्ति भाव से लक्ष्मी को खूब रिझाते थे। यहां के सोनार दुर्ग में लक्ष्मीनाथ मंदिर आराधना का प्रमुख स्थान है। लक्ष्मी एवं विष्णु यहां धन, यश, सुख एवं शांति के प्रतीक के रूप में पूजनीय है तथा इस मंदिर का इतिहास एवं स्थापत्य कला बेजोड़ है। साहित्यकार लक्ष्मीनारायण खत्री बताते हैं कि रियासतकाल में जैसलमेर के चन्द्रवंशी भाटी महारावल लक्ष्मीनाथ को राज्य का मालिक तथा स्वयं को राज्य का दीवान मानकर शासन किया करते थे। राज्य के समस्त पत्र व्यवहार, अनुबंधन एवं शिलालेखों पर सर्वप्रथम ‘लक्ष्मीनाथजी’ शब्द लिख कर शुभारंभ करने की परम्परा रही है। परम्परानुसार मंदिर के लिये सामग्री भी राजघराने की ओर से दी जाती थी।

स्वर्ण आभूषणों से शृंगार

दुर्ग में बने इस मंदिर का निर्माण महारावल बेरसी के राज्यकाल में माघ शुक्ला पंचमी शुक्रवार अश्वनी नक्षत्र में विक्रम संवत 1494 को हुई थी। लक्ष्मीनाथ मंदिर में मूर्ति सफेद संगमरमर में तराशी हुई है, इसका मुख पश्चिमी दिशा की ओर है तथा घुटने पर अद्र्धागिंनी लक्ष्मी विराजमान है। मूर्ति का सिर, कान, हाथ, कमर, पांव स्वर्णाभूषणों एवं विविध वस्त्रों इत्यादि से सजे संवरे है। मूर्ति में भगवान लक्ष्मीनाथ एवं माता लक्ष्मी का स्वरूप मारवाड़ी सेठ-सेठानी सरीखा दिखता है। मंदिर सवेरे एवं सांय खुलता है। दिन में कुल पांच आरतियां कर भगवान लक्ष्मीनाथ का यशोगान किया जाता है।

Hindi News / Jaisalmer / जैसलमेर नगर के आराध्य: भगवान लक्ष्मीनाथ पर अपार अटूट श्रद्धा

ट्रेंडिंग वीडियो