पांच-छह माह तक डेरा
कुरजां पश्चिमी राजस्थान में अलग-अलग जगहोंं पर अपना डेरा डालती है तथा प्रवास करती है। इन दिनों रामदेवरा क्षेत्र में कई जगहों पर बड़ी संख्या में कुरजां ने डेरा डाल रखा है, जिससे सुबह तालाब, सरोवर व मैदानों में कुरजां की कलरव से गूंजते सुनाई दे रहे है।पक्षीप्रेमी भवानीसिंह बताते हैं कि शीतकाल के दौरान कुरजां को धार्मिक क्षेत्र रामदेवरा रास आने लगा है। वर्तमान में रामदेवरा तथा क्षेत्र के विरमदेवरा, एकां, मावा सहित अन्य जगहों पर करीब दो हजार से अधिक कुरजां नजर आ रही है। प्रवासी कुरजां की आवक से वन्यजीवप्रेमियोंं व पक्षीप्रेमियों में भी उत्साह दिख रहा है। कुरजां के अलावा अन्य कई प्रजातियों के पक्षी भी इस क्षेत्र में नजर आ रहे है।