रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतलों का निर्माण शुरू
विजयदशमी के पर्व पर दहन के लिए नगरपरिषद की ओर से बुराई के प्रतीक रावण, उसके भाई कुम्भकर्ण और पुत्र मेघनाद के पुतलों के निर्माण का कार्य शुरू कर दिया गया है।
विजयदशमी के पर्व पर दहन के लिए नगरपरिषद की ओर से बुराई के प्रतीक रावण, उसके भाई कुम्भकर्ण और पुत्र मेघनाद के पुतलों के निर्माण का कार्य शुरू कर दिया गया है। स्थानीय शहीद पूनमङ्क्षसह भाटी स्टेडियम में जोधपुर की ठेकेदार फर्म के कारीगरों ने पुतलों के ढांचों को बनाने का काम शुरू कर दिया है। तीनों पुतलों के चेहरों व पैरों को कारीगर अपने साथ बनाकर लाए हैं। अब यहां पतली लकड़ी के ढांचों का निर्माण कर उनमें बारूद लगाया जाएगा और फिर रंग-बिरंगी पन्नियों से उन्हें तैयार किया जाकर विजयदशमी पर फूंकने के लिए खड़ा करेंगे। गौरतलब है कि इस बार रावण के पुतले की ऊंचाई ४५ फीट होगी वहीं कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतले ४०-४० फीट के बनाए जा रहे हैं। पुतलों को तैयार करने और आतिशबाजी के लिए नगरपरिषद की तरफ से करीब १०.७५ लाख रुपए का व्यय किया जाएगा। जोधपुर की शोरगर फर्म यह कार्य कर रही है। गौरतलब है कि विजयदशमी को सूर्यास्त के ठीक बाद शहीद पूनमसिंह स्टेडियम में तीनों पुतलों का दहन और रंग-बिरंगी आतिशबाजी का कार्यक्रम होगा। अतिथियों के तौर पर जनप्रतिनिधि या प्रशासनिक अधिकारी इन पुतलों का दहन करते रहे हैं।
आतिशी नजारे मोहेंगे मन
- विजयदशमी पर पुतला दहन के साथ की जाने वाली तरह-तरह की आतिशबाजी और आकाशगंगा के नजारे हजारों दर्शकों के सामने पेश किए जाएंगे। इस मौके पर हर वर्ष हजारों की संख्या में शहरी व ग्रामीण जन जुटते हैं और दशहरा मेला का लुत्फ उठाते हैं।
- दहन के समय रावण के पुतले की बड़ी-बड़ी आंखों से अंगारे बरसेंगे तो मुंह से आग के गोले और नाभि व सिर पर अग्निचक्र चलेगा व तलवार से चिंगारियां फूटेंगी। कई तरह के पटाखे और धमाकों के साथ नई तरह की आतिशबाजी कर कार्यक्रम को आकर्षक बनाने का प्रयास किया जाएगा।
- विजयदशमी पर स्टेडियम में हजारों की संख्या में दर्शक मौजूद रहते हैं। आसपास के गांवों से भी लोग विजयदशमी पर पुतलों के दहन व आकर्षक आतिशी नजारे देखने पहुंचते हैं।
- पुतलों के निर्माण का कार्य कई दिनों तक चलता है। पुतलों के मुंह, हाथ और पैर जोधपुर में तैयार कर यहां लाए जाते हैं जबकि बाकी हिस्सा जैसलमेर में ही बनाया गया है।
- पूनम स्टेडियम में करीब एक घंटे तक रंग-बिरंगी आतिशबाजी की जाएगी। जिससे वहां का पूरा आकाश आतिशी नजारों से पट जाएगा।
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