अनूठा अनुभव: झोंपडिय़ां और देशी भोजन
यहां की पारंपरिक झोंपडिय़ां पर्यटकों को आधुनिकता से दूर एक प्राकृतिक जीवन जीने का अवसर देती हैं। देसी खाना, जिसमें बाजरे की रोटी, दाल-बाटी और गट्टे की सब्जी शामिल हैं, सैलानियों को यहां की मिट्टी से जोड़ देता है। दिसंबर व जनवरी महीने में तो सम में 2 लाख के करीब पर्यटक पहुंचते हैं।
ऊंट के साथ जीप सफारी भी
रेत के धोरों पर ऊंट सफारी और जीप सफारी जैसे एडवेंचर सैलानियों को खूब भाते हैं। सम में करीब 1500 ऊंट सफारी और कैमल गार्ड सेवाओं में उपयोग किए जाते हैं। यहां सूर्यास्त का दृश्य और रेत के टीलों पर बिताया गया समय सैलानियों को रोमांच और सुकून दोनों देता है।
स्थानीय रोजगार का बड़ा जरिया
सम के पर्यटन उद्योग से लगभग 15 हजार लोग सीधे जुड़े हुए हैं। लोक कलाकार, ऊंट संचालक, रिसॉर्ट कर्मचारी और भोजन विक्रेता अपनी आजीविका का प्रमुख स्रोत इस क्षेत्र में पाते हैं। एक रिसॉर्ट संचालक आनंदसिंह बताते हैं विदेशी मेहमान झोंपडिय़ों में रुकने और राजस्थानी संगीत का आनंद लेने के लिए बहुत उत्साहित रहते हैं। देशी भोजन और अलाव का अनुभव उनके लिए खास होता है। कैमल सफारी से जुड़े मंसूर खां बताते हैं कि ऊंट सफारी सैलानियों के लिए मुख्य आकर्षण है। वे दिन भर रेत के टीलों पर घूमते हैं और रात को संगीत के साथ अलाव तापते हैं।