जकड़न, सूजन और असहनीय दर्द
पहले यह बीमारी बुजुर्गों में देखी जाती थी, लेकिन अब 25-33 वर्ष के युवाओं में भी इसके मामले बढ़ रहे हैं। लक्षणों में चलने-फिरने में कठिनाई, कमर और रीढ़ की हड्डी में दर्द, सुबह उठते समय जकड़न, सूजन और असहनीय दर्द शामिल हैं। शुरुआती इलाज से यह बीमारी 4-6 महीने में ठीक हो सकती है, लेकिन देरी से आए मामलों में इसे केवल बढने से रोका जा सकता है।
ये मुख्य कारण
आनुवांशिकता और हार्मोनल असंतुलन। चोट या एक ही मुद्रा में लंबे समय तक बैठना। विटामिन डी, मिनरल्स और कैल्शियम की कमी। यूरिक एसिड का बढना और कमजोर इयुनिटी। अधिक वजन और खराब जीवनशैली। इनसे करें परहेज, विटामिन-कैल्शियम लें शराब और तंबाकू सेवन से बचें। नमक और चीनी का सेवन सीमित करें। संतुलित आहार लें, जिसमें पर्याप्त विटामिन और कैल्शियम हो।
मरीज को पीठ, कमर व गर्दन में होता है दर्द
रीढ़ की हड्डी में गठिया एक आमवाती रोग है। मरीज को पीठ, कमर व गर्दन में दर्द होता है। यह बीमारी किशोर अवस्था के अंतिम चरण यानी 20 वर्ष के बाद देखी जा रही है। इन मरीजों का आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में पंचकर्म की तीन विधियों से इलाज किया जाता है। जिसमें पत्र पिंड स्वेद, प्रतिष्ठा वस्ति थैरेपी, विरेचन वस्ति विधि शामिल हैं। इनमें औषधियों का लेप, सिकाई, मसाज होती है। दवाइयां भी दी जाती है। डॉ. गोपेश मंगल, पंचकर्म विभाग, एनएआइ, जयपुर