इधर, चुनाव की तैयारियों को देखते हुए निर्वाचन आयोग ने 10 फीसदी अतिरिक्त कर्मचारियों की सूची तैयार करने के भी निर्देश दिए हैं, ताकि उन्हें रिजर्व में रखा जा सके और जरूरत पड़ने पर इस कार्य में लगाया जा सके।
खर्रा का ‘वन स्टेट वन इलेक्शन’ पर जोर
इसी बीच
राजस्थान सरकार के UDH मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने एक कार्यक्रम में निकाय चुनावों को लेकर बड़ा बयान दिया है। झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि उनका और सरकार का यहीं विचार है कि सभी निकायों में ‘वन स्टेट वन इलेक्शन’ के तहत एक साथ चुनाव करवाएं जाएं। इससे पहले भी मंत्री झाबर सिंह खर्रा कह चुके हैं कि राजस्थान में हर हाल में वन स्टेट वन इलेक्शन लागू किया जाएगा।
निकायों में प्रशासक की नियुक्ति संभव
बताते चलें कि संविधान के अनुच्छेद 243 में नगर पालिकाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का प्रावधान है। इसी तरह राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 7 में भी नगर पालिका का कार्यकाल 5 वर्ष से ज्यादा नहीं होने का स्पष्ट प्रावधान है। ऐसे में ये तो तय है कि प्रदेश के जिन 49 शहरी नगरीय निकायों का कार्यकाल इस महीने पूरा हो रहा है, यदि चुनाव नहीं होते तो वहां कमान प्रशासक को सौंपी जाएगी।
लिहाजा, नगरपालिका में यदि कार्यकाल के 5 वर्ष की अवधि पूरी होने से पहले चुनाव नहीं कराए जाते तो बोर्ड खुद-ब-खुद भंग हो जाता है और सरकार चुनाव नहीं होने की स्थिति में इन सभी निकायों में प्रशासक की नियुक्ति कर सकती है। प्रशासक लगाए जाने की संभावना इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि बीते दिनों यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ‘वन स्टेट वन इलेक्शन’ की बात कह चुके हैं।
बजट में वित्त मंत्री ने की थी ये घोषणा
गौरतलब है कि वित्त मंत्री दिया कुमारी ने इस साल के बजट में ‘वन स्टेट वन इलेक्शन’ की घोषणा की थी। इसके पीछे तर्क दिया गया था कि बार-बार चुनाव होने से आचार संहिता लागू होने के कारण सरकारी कामकाज प्रभावित होता है और सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ता है।