पांचवी बार विधायक बने हैं। केन्द्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। पार्टी में बड़े पदों पर रह चुके हैं। चर्चा है कि इनको लोकसभा का चुनाव भी लड़वाया जा सकता है। परसराम मोरदिया
छठी बार विधायक। बड़ा दलित चेहरा। अशोक गहलोत के नजदीकी माना जाता था। हालांकि, अजा के चार मंत्री पहले बन चुके हैं।
छठी बार विधायक बने। मंत्री नहीं बनाए जाने से मारवाड़ में नाराजगी भी है। बड़े जाट नेता हैं, लेकिन इस जाति के भी चार मंत्री बन चुके। दीपेन्द्र सिंह शेखावत
पांचवी बार विधायक बने। शेखावाटी का बड़ा राजपूत चेहरा हैं। 2008 में भी स्पीकर रहे। उस समय भी कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं था।
चौथी बार विधायक बने हैं, बेबाक बयानबाजी के लिए जाने जाते हैं औैर छवि भी स्वच्छ है। वे भी इस दौड़ में शामिल हैं। पिछली कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके हैं। बनाना होगा मजबूत स्पीकर
2008 की तरह कांग्रेस को इस बार भी पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। ऐसे में स्पीकर की कुर्सी पर ऐसा नेता बैठाना होगा, जो विपक्ष को साथ लेकर तो चले ही साथ ही सत्ता पक्ष के नेताओं को भी एकजुट रखकर सदन चलाए। हालांकि, कांग्रेस को बसपा का समर्थन पहले ही प्राप्त हो चुका है, फिर भी विपक्ष को नियंत्रण में रखने के लिए सदन में कांग्रेस को मजबूत और सूझबूझ वाले स्पीकर का चुनाव करना होगा।