रविंद्र सिंह भाटी जब अपने कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। इसी दौरान वो छात्र राजनीति में एक्टिव हो गए। रविंद्र सिंह भाटी जोधपुर स्थित जय नारायण विश्वविद्यालय यानी जोधपुर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष हैं। साल 2019 में भाटी चाहते थे कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की छात्र यूनिट अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की तरफ से चुनावी टिकट दिया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। ऐसे में बाटी ने साल 2019 में निर्दलीय चुनाव लड़ा और 1294 वोटों से जीत गए। जोधपुर यूनिवर्सिटी में 57 साल बाद ऐसा देखने को मिला जब किसी निर्दलीय प्रत्याशी ने छात्रसंघ का चुनाव जीता। बता दें कि बिना किसी राजनीतिक सहारे भाटी ने अपना नाम छात्र संघ में बनाया।
छात्रों और युवाओं तथा सोशल मीडिया पर बेहद चर्चित रविंद्र सिंह भाटी राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे। भाटी को बड़े स्तर पर भाजपा में शामिल कराया गया। लेकिन मात्र 9 दिन में ही उन्होंने भाजपा से बगावत कर दी। दरअसल जब भाटी ने भाजपा को ज्वाइन तब यह तय माना जा रहा था कि उन्हें ही भाजपा टिकट देगी और शिव विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाएगी। हालांकि पार्टी की अंदरूनी राजनीति के कारण रविंद्र सिंह भाटी को चुनाव का टिकट नहीं मिला, जिसके बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी और निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बनाया।
रविंद्र सिंह भाटी राजस्थान के बाड़मेर जिले के एक गांव दुधौड़ा से आते हैं। दुधौड़ा गांव भारत और पाकिस्तान के बॉर्ड से सटे शिव विधानसभा क्षेत्र में है। शिव विधानसभा क्षेत्र और पाकिस्तान में स्थित राजपूत समाज के गावों में रोटी-बेटी का संबंध है। इसलिए रविंद्र सिंह भाटी की चर्चा पाकिस्तान के उन गावों में भी होती है और वो भी मांग करते हैं कि भाटी को चुनाव जीताना चाहिए। बता दें कि भाटी ने राजस्थानी भाषा में पोस्ट ग्रेजुएशन की है। बता दें कि कॉलेज के दिनों में जब उन्हें एबीवीपी की तरफ से टिकट नहीं दिया गया तो उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत गए। अब देखना ये है कि क्या भाजपा से टिकट नहीं मिलने के बाद वो इस बार विधानसभा चुनाव जीतेंगे।
रविंद्र सिंह भाटी पर आरोप लगते हैं कि वो महंगी डिफेंडर और फॉर्च्यूनर जैसी गाड़ियों में घूमते हैं। रविंद्र सिंह भाटी की मानें तो वो एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं और इन गाड़ियों को अफोर्ड नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कई बार कहा है कि उनके सहयोगियों और दोस्तों की गाड़ियां हैं जिसमें वो चुनाव प्रचार करते हैं तथा घूमते हैं। सोशल मीडिया के धुरंधरों की मानें तो इन महंगी गाड़ियों का मालिक रविंद्र सिंह भाटी का दोस्त अशोक गोदारा है। अशोक गोदारा और भाटी की दोस्ती पर भी खूब चर्चा होती है। गोदारा जब भाटी से मिलने आते हैं तो वो ही चुनाव प्रचार के लिए भाटी के यहां अपनी गाड़ियों के काफिले को छोड़ जाते है। गाड़ियों का पूरा खर्चा अशोक गोदारा ही उठाते हैं। ऐसे में कई लोग दोनों को राम और लक्ष्मण की भी संज्ञान देते हैं।