प्रदेश में बढ़ते तापमान के बीच सियासी पारा एक बार फिर गर्म हो गया है। आरक्षण की मांग को लेकर गुर्जर फिर आंदोलन की राह पर हैं। विशेष पिछड़ा वर्ग में 5 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर किए गए इस आंदोलन ने वर्ष 2007 और 2008 की यादें ताजा कर दी हैं।
आठ साल पहले इसी मांग को लेकर गुर्जर समाज ने कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के साथ संघर्ष की शुरुआत की थी। उस दौरान भी मई महीने में पीलूपुरा ट्रैक को जाम कर दिया था।
इन सबके बीच ट्रेन और बस सेवाएं बाधित हुई हैं। लोगों के मन में आशंका है कि कहीं यह आंदोलन फिर हिंसक न हो जाए।
गौरतलब है कि आरक्षण आंदोलन को लेकर 2007 में 26 लोग मारे गए थे। वहीं, 2008 में 37 लोगों की मौत हुई थी।
कानूनी पेंच
मामले में एक कानूनी पेंच भी है। पूर्व में राज्य सरकार ने गुर्जर सहित पांच जातियों को एसबीसी में 5 फीसदी आरक्षण दिया, लेकिन हाईकोर्ट ने उस पर रोक लगा दी क्योंकि ऐसा करने से प्रदेश में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक हो गया। नियमों के अनुसार, 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता है।
इस आंदोलन के अगुवा कर्नल बैंसला ने कहा है कि इस बार वे आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। अब तक सिर्फ सरकारों ने आश्वासन ही दिए हैं। वहीं राज्य सरकार ने बातचीत के रास्ते खुले रखे हैं। सरकार स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
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