अगले तीन घंटे में बारिश, आंधी, मेघगर्जन के साथ होगा वज्रपात, मौसम विभाग का Yellow Alert
वैशाख पूर्णिमा की तिथि के दिन ही महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था, इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहते हैं। इसी तिथि को महात्मा बुद्ध को बोधिसत्व की प्राप्ति और इसी तिथि को उनका महानिर्वाण भी हुआ। इस दिन एक महीने से चले आ रहे वैशाख माह के स्नान दान एवं विशेष धार्मिक अनुष्ठानों की पूर्ण आहूति की जाती है। मान्यता है कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और चंद्र देव की उपासना से आर्थिक तंगी दूर होती है और मान-सम्मान में वृद्धि होती है। इस दिन दान करना शुभ होता है।
दान और पूजा का विधान
इस दिन धर्मराज के निमित्त जल से भरा हुआ कलश, पकवान एवं मिष्ठान इस दिन वितरित करना, गो दान के समान फल देने वाला बताया गया है। पवित्र नदियों व सरोवरों में स्नान के बाद दान-पुण्य का विशेष महत्व कहा गया है। तीर्थ नदियों तक जाना संभव न हो तो घर में ही पानी से भरी बाल्टी में कुछ बूंदें गंगाजल की डालकर उस पानी से स्नान करें। इस व्रत में चंद्रमा की पूजा का भी महत्व है।