इस मेले में आकर इन विदेशी मेहमानों ने राजस्थानी संस्कृति और व्यजंनों का लुत्फ उठाया। यह यात्रा उदयपुर से 28 अक्टूबर से शुरु हुई। झीलों की नगरी उदयपुर, कुम्भलगढ़ किले की हॉर्स राइडिंग करते हुए नारलाई, जवाई बांध होते हुए जोधपुर पहुंचे और यहां से ओसियां के मखमली धारों को निहारने के बाद फलोदी के खीचन गांव तक घुड़सवारी करते हुए पुष्कर पहुंचे।
झीलों के शहर से पुष्कर तक का सफर
गौरतलब है कि विदेशी मेहमान झीलों की नगरी उदयपुर से पश्चिमी राजस्थान के मखमली धोरों की सैर घुड़सवारी करते हुए पुष्कर मेले में पहुंचे है। इस दौरान मेहमानों ने यहां के ग्रामीण अंचलों की सैर भी की और यहां की ग्रामीण संस्कृति से भी रूबरू हुए। जवाई बांध पर विदेशी मेहमानों ने रोमांचक जीप सफारी का भी आनंद लिया। वहीं जोधपुर में राजस्थानी कालबेलिया डांस और लज़ीज खाने का स्वाद लिया। होटल से खूबसूरत मेहरानगढ़ किला का नजारा भी देखा। रेतीले मैदान से लेकर ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों तक घुड़सवारी का आनंद लेते हुए विदेशी मेहमानों ने रात गुबंद की तरह बने हुए आलीशान टेंट में गुजारी।
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वहीं सुबह टेंट के बाहर राजस्थान के मौसम का मजा लेते नजर आए। इसके साथ ही हसीन पलों को अपने कैमरे में कैद किया। घुड़सवारी के दौरान विदेशी मेहमानों ने राजस्थानी पगड़ी भी पहनी। कोई केसरिया तो कोई गुलाबी रंग की पगड़ी में नजर आया। राजस्थान की चिलचिलाती धूप में कई विदेशी पर्यटकों ने पगड़ी पहने हुए तस्वीरें भी खिंचवाई।16 दिन में 12 दिन हॉर्स राइडिंग से सफर
हॉर्स राइडिंग करते हुए यह दल 28 अक्टूबर को उदयपुर से यात्रा शुरू करते हुए 9 नवंबर को पुष्कर मेले पहुंचा। ऊंट सफारी के दौरान, पर्यटक रेगिस्तान के अद्भुत दृश्य का आनंद लिया, जहां सूरज की किरणें रेत पर सोने की तरह चमकती हैं। इस दल में इस बार यह खास बात रही कि 72 साल का बुजुर्ग मेहमान भी हॉर्स राइडिंग करते हुए पुष्कर पहुंचा है। अब यह पुष्कर से जयपुर के लिए रवाना हो गया है। जयपुर से यह दल अब सवाईमाधोपुर जाएगा।