बता दें कि जैतून के पौधे को लगाने के बाद तीन साल बाद इसमें जैतून का फल आता है। सर्दी खत्म होते ही जैतून में फ्रूटिंग होना शुरू हो जाती है। फिलहाल
जयपुर में बस्सी के ढिढोल समेत राज्य के चार सरकारी फॉर्मों में 120 हेक्टेयर में जैतून के ऐसे पौधे लगे हुए हैं, जिन्हें लगे तीन साल हो गए हैं। इसके अलावा करीब 32 हेक्टेयर एरिया किसानों के पास भी है। जहां फल आने की उम्मीद है।
वहीं राज्य में इन दिनों जैतून की खेती का जायजा लेने के लिए इजराइल से कृषि वैज्ञानिक युवाल चैन भी आए हुए हैं। उन्होंने भी कुछ फॉर्मों के विजिट के बाद जैतून के पौधों में अच्छे फल आने की उम्मीद जताई है।
ध्यान हो कि हाल ही में नेपाल सरकार ने भी राजस्थान को 17 हजार जैतून के पौधों का ऑर्डर दिया है इतना ही नहीं राजस्थान अब तक 13 राज्यों को जैतून के पौधे उपलब्ध करा चुका है। तो वहीं जैतून के फलों में कैंसररोध तत्व पाए जाने के कारण प्रदेश में कृषि विभाग भी जैतून की खेती को बढ़ावा देने के लिए अपनी हर संभव कोशिशों में लगा हुआ है।
प्रदेश में जैतून की खेती किसानों की अच्छी आय का जरिया साबित होने के साथ ही लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकेगी। जैतून के पत्तों से तैयार आॅलिव चाय की पहले ही देश विदेश में मांग बनी हुई है, अब जैतून कैंसर से लड़ने में भी कारगर साबित हो सकता है। हाल ही में राजस्थान आॅलिव कल्टीवेशन लिमिटेड की ओर से जांच के लिए भिजवाए गए जैतून फल के नमूनों की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में यह फल कैंसर जैसी बीमारी से लडने के लिए उपयोगी साबित निकला है।
उदयपुर में अब शांति, उपद्रव मचाने वाले 100 लोग हिरासत में, 52 गिरफ्तार, सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात गौरतलब है कि राजस्थान में साल 2008 में इस्राइल से जैतून के 1.12 लाख पौध लाकर यहां उसकी खेती शुरू की गई। और इन पौधों को 182 हैक्टेयर सरकारी जमीन पर लगाया गया। इन पौधों को सात कृषि जलवायु क्षेत्र बस्सी, बकालिया, सांथु, बरोर, टिंकिरूडी, लुनकरणसर और बसाबासिना गांव में लगाया गया। इस बार बस्सी के ढिढोल समेत राज्य में लगे जैतून के पौध के तीन साल पूरे हो चुके हैं और चौथे साल में तेज सर्द पड़ने के कारण अच्छे पैदवार की संभावना जताई जा रही है। (जयपुर से आशीष शर्मा की रिपोर्ट…)