संसद में सर्वसम्मति से पास किया गया कानून
इस कानून के तहत सरकार ने देश में एक साल में 175 मिलियन से अधिक पेड़ लगाने, उनका पोषण करने और उन्हें विकसित करने का लक्ष्य रखा है। हर छात्र को अपने स्नातक की डिग्री पाने के लिए कम से कम 10 पेड़ लगाना अनिवार्य है।
इस कानून को ‘ग्रेजुएशन लीगेसी फॉर द एनवायरनमेंट एक्ट’ नाम दिया है, जिसे फिलीपींस की संसद में सर्वसम्मति से पास किया गया। यह कानून कॉलेजों, प्राथमिक स्तर के स्कूलों और हाई स्कूल के छात्रों के लिए भी लागू होगा।
सरकार ने वो इलाके भी चुन लिए हैं, जहां पेड़ लगाए जाएंगे। चयनित क्षेत्रों में मैनग्रोव वनक्षेत्र, सैन्य अड्डे और शहरी क्षेत्र के इलाके शामिल हैं। स्थानीय सरकारी एजेंसियों को इन पेड़ों की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है।
राजस्थान को भी फिलीपींस जैसे कानून की दरकार
अगर राजस्थान भी फिलीपींस की राह पर चले तो पर्यावरण को काफी हद तक बचाया जा सकता है। हमने युवाओं से इस कानून को लेेकर बात की तो उन्होंने इस कानून की सराहना की।
एक कॉलेज छात्र हनी तिवाड़ी ने बताया कि हर साल हजारों की संख्या में छात्र स्नातक की परीक्षा पास करते हैं। अगर ऐसा कोई कानून राजस्थान में भी लागू किया जाए तो हर साल लाखों पेड़ लगाए जा सकते हैं। हनी ने कहा कि मैं राजस्थान सरकार से अपील करता हूं कि ऐसा कानून प्रदेश में भी लागू किया जाए जिससे पर्यावरण को बचाया जा सके।
एक अन्य कॉलेज छात्रा आरुषि छाबड़ा ने भी ग्रेजुएशन लीगेसी फॉर द इन्वायरन्मेंट एक्ट को सराहा। आरुषि ने कहा कि प्रदेश में पेड़ लगाने का ऐसा कोई कानून लागू हो तो पर्यावरण बचाने की दिशा में काफी अच्छा कदम हो सकता है। साथ ही कानून लागू हो तो केवल कॉलेज हीं नहीं, स्कूली स्टूडेंट्स पर भी लागू होना चाहिए। इस तरह का कानून लागू हाे जाए ताे हमारा प्रदेश कुछ वर्षों में ही रेगिस्तानी प्रदेश की जगह हरियाला प्रदेश हो जाएगा।
Rajasthan School of Law for Women की प्रिंसिपल डॉ. वर्तिका अरोड़ा का कहना है कि भारत में फिलीपींस जैसा कानून जरूर लागू होना चाहिए। खासकर राजस्थान में तो लागू होना बहुत जरूरी है। प्रदेश में यह कानून स्कूल लेवल से ही जल्द से जल्द लागू होना चाहिए। अगर यह कानून अभी से लागू होगा तो आने वाले पांच साल में इसका प्रभाव देखने को मिलेगा और बढ़ते तापमान से कुछ राहत मिलने की उम्मीद होगी।
5 जून काे हर साल world environment day मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस का प्रारंभ 1972 में स्टॉकहोम में मानवीय पर्यावरण हेतु आयोजित सम्मेलन के पहले दिन हुआ था। यह एक ही पृथ्वी ध्येय वाक्य से अभियान संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में शुरू हुआ जो 38वें बरस में आज सार्थक पहल के साथ मनाया जा रहा है।