इधर, चुनाव की मांग को लेकर राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में छात्रों की ओर से धरने-प्रदर्शन किए जा रहे हैं। राजस्थान यूनिवर्सिटी में अलग-अलग प्रदर्शन करने के बाद गुरुवार को सभी छात्र नेताओं की ओर से सामूहिक प्रदर्शन किया जाएगा।
राजस्थान में अगस्त माह में छात्रसंघ चुनाव कराए जाते रहे हैं। हर वर्ष प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद छात्रसंघ चुनाव का कार्यक्रम जारी कर दिया जाता था । इससे पहले वर्ष 2022 में छात्रसंघ चुनाव कराए गए थे। गत वर्ष कांग्रेस सरकार ने नई शिक्षा नीति लागू होने का हवाला देते हुए छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगा दी थी। इसका छात्रों की ओर से भारी विरोध किया गया था।
चुनाव खर्च सहित कई मदों में काम आता बजट
छात्रनेता शुभम रेवाड़ के अनुसार राजस्थान यूनिवर्सिटी में करीब 25 हजार से अधिक छात्रों की ओर से छात्रसंघ चुनाव में भागीदारी निभाई जाती है। रेवाड़ का कहना है कि प्रोस्पेक्टस में 145 रुपए छात्रसंघ चुनाव के नाम पर और 110 रुपए सदस्यता शुल्क के रूप यानी कुल 255 रुपए वन टाइम शुल्क के रूप में प्रति छात्र वसूल किए जा रहे हैं। यूनिवर्सिटी में हर साल यूजी और पीजी कोर्स में करीब सात हजार विद्यार्थी एडमिशन लेते हैं यानी दो साल में 14 हजार विद्यार्थी वन टाइम शुल्क के रूप में 255 रुपए दे चुके हैं। इसके मायने यह हुए कि उनसे साढ़े 35 लाख से ज्यादा रुपए छात्रसंघ चुनाव के नाम पर वसूले जा चुके हैं। यूनिवर्सिटी और डीएसडब्ल्यू (डीन स्टूडेंट वेलफेयर) की ओर से इस बजट से चुनाव की तैयारियां कराई जाती हैं।
चला रखा चिट्ठी अभियान, विधानसभा में उठ चुकी मांग
छात्र नेताओं की ओर से सभी विधायकों से मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखवाने का अभियान चलाया गया है। भाजपा सहित कांग्रेस विधायक सरकार से मांग कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी छात्रसंघ चुनाव कराने की मांग कर चुके हैं। इसके अलावा राजस्थान यूनिवर्सिटी के 18 पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष भी चुनाव की मांग कर चुके हैं।