इस दौरान वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉक्टर अनीता गौतम ने बताया कि महिला परिवार की धुरी है, परंतु उसके मानसिक स्वास्थ्य के बारे में अभी भी बात नहीं की जाती है। आज भी कई तरह की भ्रांतियां हमारे समाज में व्याप्त हैं। उन्ही भ्रांतियां को दूर कर मानसिक विकारों के बारे में इस नुक्कड़ नाटक के माध्यम से बताया गया है। जैसे डिसोसिएटिव डिसऑर्डर, प्रसव के बाद होने वाले अवसाद या अत्यधिक उत्तेजना, आत्मघाती विचार, घरेलू हिंसा आदि। मानसिक विकार से ग्रस्त मरीज झाड़ फूंक एवं बाबा के पास जाने के बजाय उचित मनोचिकित्सक एवं मनोवैज्ञानिक सलाह से ठीक होकर समाज के मुख्य धारा में सम्मिलित हो सकता है।