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जयपुर

उप चुनाव का ट्रैक रिकॉर्ड खराब, चाहे सत्ता में हो या विपक्ष में भाजपा को मिलती रही है हार

श्रीकरणपुर की हार से एक बार फिर साबित हो गया है कि उप चुनाव में भाजपा फिसड्डी है। सहानुभूति को नहीं भांप पाना भाजपा को भारी पड़ा और मंत्री बनाने के बावजूद टीटी को हार का सामना करना पड़ा है।

जयपुरJan 09, 2024 / 11:20 am

Umesh Sharma

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श्रीकरणपुर की हार से एक बार फिर साबित हो गया है कि उप चुनाव में भाजपा फिसड्डी है। सहानुभूति को नहीं भांप पाना भाजपा को भारी पड़ा और मंत्री बनाने के बावजूद टीटी को हार का सामना करना पड़ा है। पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के समय प्रदेश की 7 सीटों पर उप चुनाव हुआ, लेकिन भाजपा को छह सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस ने 5, भाजपा-रालोपा ने एक-एक सीट पर जीत दर्ज की। यही हाल वसुंधरा सरकार के समय भी रहा। 2013 से 2018 तक वसुंधरा सरकार के समय भाजपा को 8 उपचुनाव में से 6 उपचुनावों में हार का सामना करना पड़ा था। सत्ता और विपक्ष में रहने के बावजूद बीजेपी के लिए उपचुनाव के नतीजे हमेशा परेशानी लेकर ही आए। राजे सरकार के समय मोदी लहर के बावजूद जब अलवर और अजमेर सीट पर उप चुनाव हुआ तो दोनों जगहों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को जीत मिली थी।

21 सीटों पर सिमटी थी कांग्रेस, मगर उप चुनाव जीते

2013 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में प्रचंड मोदी लहर के चलते कांग्रेस 21 सीटों पर सिमट गई थी। साथ में 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी को सभी 25 लोकसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था लेकिन इसके बाद हुए विधानसभा उपचुनाव कांग्रेस पार्टी के लिए राहत भरी खबर लेकर आए।

तीनों सीटों पर चखा था जीत का स्वाद

2013 के विधानसभा चुनाव में नसीराबाद से सांवरलाल जाट, सूरतगढ़ से संतोष अहलावत, वैर से बहादुर कोली और कोटा दक्षिण से चुनाव जीते ओम बिरला को 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने टिकट देकर लोकसभा चुनाव लड़ाया। सांवरलाल जाट अजमेर, संतोष अहलावत झुंझुनूं, बहादुल कोली भरतपुर और ओम बिरला कोटा से लोकसभा का चुनाव जीत गए। इसके 5 महीने बाद 4 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने सत्तारूढ़ बीजेपी को बड़ा झटका देते हुए नसीराबाद, सूरजगढ़ और वैर में जीत दर्ज की। बीजेपी को केवल कोटा दक्षिण में ही जीत हासिल हो सकी। साल 2017 में धौलपुर से बसपा विधायक रहे बी.एल. कुशवाह की विधायकी रद्द होने के बाद बीजेपी ने उनकी पत्नी को धौलपुर सीट पर भाजपा का टिकट देकर चुनाव लड़ाया जहां पर बीजेपी को जीत मिल पाई।

2 लोकसभा और 1 विधानसभा उप चुनाव भी जीती कांग्रेस

साल 2018 की जनवरी की शुरुआत में ही सत्तारूढ़ बीजेपी को उस वक्त बड़े झटके लगे थे, जब दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर हुए उपचुनावों में कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के रघु शर्मा अजमेर और डॉ. करण सिंह यादव अलवर लोकसभा सीट का उप चुनाव जीते। मांडलगढ़ विधानसभा में उपचुनाव में विवेक धाकड़ ने चुनाव जीता।

विपक्ष में रहते हुए भी बीजेपी पांच उपचुनाव हारी

सत्तारूढ़ पार्टी की एंटी इनकंबेंसी का फायदा उपचुनावों में विपक्षी पार्टियों को मिलता है, विपक्ष में रहने के बावजूद बीजेपी 7 में से 5 उप चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।धरियावद और मंडावा सीट पर 2018 में भाजपा के खाते में आई थी। लेकिन जब उप चुनाव हुए तो दोनों सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली। कांग्रेस ने जहां मंडावा, सुजानगढ़, सहाड़ा, वल्लभनगर, धरियावद सीटों पर जीत दर्ज की तो वहीं बीजेपी केवल राजसमंद सीट पर ही अपना कब्जा बरकरार रख पाई। खींवसर सीट पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने अपना कब्जा बरकरार रखा।

2014 से 2018 तक हुए उपचुनावों का परिणाम

नसीराबाद-कांग्रेस
सूरजगढ़-कांग्रेस
वैर-कांग्रेस
कोटा दक्षिण-भाजपा
धौलपुर-भाजपा
मांडलगढ़-कांग्रेस
अजमेर लोकसभा-कांग्रेस
अलवर लोकसभा-कांग्रेस

2019 से 2021 तक हुए 7 उपचुनावों का परिणाम

मंडावा-कांग्रेस
खींवसर-रालोपा
सुजानगढ़-कांग्रेस
सहाड़ा-कांग्रेस
वल्लभगनगर-कांग्रेस
राजसमंद-भाजपा
धरियावद-कांग्रेस

 

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