जानकारी अनुसार, करीब 20 करोड़ रुपए लागत आएगी। स्काउटिंग से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( Ashok Gehlot ) बजट स्वीकृत कर सकते है। वर्ष 2015 में भी उन्होंने ही बजट की स्वीकृति दी थी। वे स्वयं नेशनल स्काउटिंग में अध्यक्ष रह चुके है। जम्बूरी में होते है ऐसे इवेंट्सनेशनल जम्बूरी में पार्टिसिपेंट्स को वो सब करना होता है जो उन्होंने अपने-अपने राज्यों में स्काउटिंग गतिविधियों में सीखा है। इन इवेंट्स में सबसे अहम टीम स्प्रिट होती है।
इवेंट्स में डिजास्टर मैनेजमेंट, कलर पार्टी, मार्च पास्ट, एडवेंचर एक्टिविटीज, फस्र्ट एड, लाइव डेमोस्ट्रेशन, टायर वॉल, मंकी क्रांलिंग, टायर टनल, लेडर क्रॉसिंग, टायर चिमनी, टाइगर जम्प, कमांडो क्रॉसिंग, बैलेंसिंग, नेट क्रॉसिंग, तीरंदाजी, बैंड प्रदर्शन, हस्तकला, पायनियरिंग प्रोजेक्ट, यूथ फोरम, झांकी जैसे कई इवेंट होते है। इससे मेजबान पार्टिसिपेंट्स दूसरे राज्यों के कल्चर और फील्ड वर्क को बेहतर तरीके से समझगें।
जयपुर में हुई थी देश की दूसरी जम्बूरी इससे पहले देश की दूसरी जम्बूरी जयपुर में 26 दिसंबर 1956 से 1 जनवरी 1957 तक आयोजित हुई थी। इसमें देशभर से 11 हजार युवा शामिल हुए थे। मेजबान राजस्थान के 4 हजार 400 स्काउट गाइड ने हिस्सा लेकर परचम लहराया था।
बजट अभाव में फिसली गत मेजबानी वर्ष 2016 में 17वीं नेशनल जम्बूरी मैसूर में आयोजित हुई थी। यह जम्बूरी पहले वर्ष 2015 में जयपुर में होना प्रस्तावित थी। इसके लिए उस समय दिल्ली में हुई एक बैठक में राजस्थान ने छतीसगढ़ के सामने दावेदारी पेश कर मेजबानी हासिल की थी। उस समय राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत थे। तब आयोजन के लिए 8 से 10 करोड़ रूपए की वित्तीय स्वीकृति भी मिली थी। लेकिन सरकार बदलने के साथ ही बजट का अभाव बताते हुए आयोजन नहीं हो सका। मेजबानी हाथ से फिसली गई थी।