शर्मा ने आरोप लगाया कि पूनियां ने अलवर में दलगत राजनीति को बढ़ावा दिया। जो लोग मंच के लिए अपेक्षित नहीं थे, उन्हें मंच पर बैठाया गया, जबकि हेमसिंह भड़ाना और रामहेत यादव समेत अन्य को जमीन पर बैठाया गया। उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी महामारी में कोई भी अलवर नहीं आया था। मैंने इस मुद्दे को उठाकर कहा था कि कार्यकर्ताओ को भगवान भरोसे छोड़ रखा है।
जो गलत हुआ वो बोल रहा हूं शर्मा ने अलवर दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि मेरी तबियत खराब थी, इस वजह से जिला कार्यसमिति की बैठक में नहीं गया। मगर पूनियां ने लास्ट में कहा कि भैरो सिंह शेखावत और ललित किशोर चतुर्वेदी के बाद मैं ही वो व्यक्ति हूं, जिसे राजस्थान की भौगोलिक स्थिति का ज्ञान है। यानि बाकी सारे लोग तो अज्ञानी ही हैं। मैं उनके खिलाफ नहीं बोल रहा, लेकिन जो गलत हुआ है वो बोल रहा हूं।
राजे का महिमामंडल करने से उनको क्या तकलीफ शर्मा ने कहा कि हम तो वसुंधरा राजे का महिमा मंडन करते हैं तो उन्हें क्यों तकलीफ है। राजे का एक सामाजिक संगठन है, उसके तहत हम काम रहे हैं। 23 साल पहले उन्होंने बड़े नेताओं पर पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया तो क्या पार्टी ने उन्हें निकाला था। पुराने लोग जोड़ना पसंद करते थे तोड़ना नहीं। मुझे जोड़ने की बजाय तोड़ने की कोशिश की जा रही है। यह ठीक नहीं है।