जानिए नियम और बचाव के तरीके
हालांकि, इन गिफ्ट्स और बोनस पर कुछ टैक्स नियम भी लागू हो सकते हैं। गिफ्ट्स और बोनस की टैक्स देनदारी जानना महत्वपूर्ण है ताकि आपको इसके बाद किसी भी वित्तीय आश्चर्य का सामना न करना पड़े। भारत में आयकर अधिनियम, 1961 के तहत कुछ निश्चित प्रकार के गिफ्ट्स या बोनस पर टैक्स लग सकता है। यहां बताया गया है कि किस प्रकार से टैक्स का निर्धारण होता है और आप इसे कैसे कम कर सकते हैं। दीपावली बोनस पर टैक्स
दीपावली बोनस को कर्मचारी की आय का हिस्सा माना जाता है, इसलिए इस पर उसी तरह टैक्स लगता है जैसे वेतन पर लगता है। इसे ‘सैलरी इनकम’ में जोड़ा जाता है और आपकी आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स लगाया जाता है।
बचाव का तरीका:
बोनस को आय में जोड़ते समय निवेश योजनाओं का उपयोग करें, जैसे 80C, 80D या अन्य टैक्स-सेविंग ऑप्शन। ये आपके टैक्स लायबिलिटी को कम करने में मदद कर सकते हैं।
कैश गिफ्ट पर टैक्स
अगर आपको दीपावली पर नकद गिफ्ट मिलता है, तो यह कुछ विशेष परिस्थितियों में टैक्स के दायरे में आता है। अगर आपको पूरे साल में 50,000 रुपये से अधिक के गिफ्ट्स मिलते हैं (कैश या वस्त्रों के रूप में), तो इस राशि को “अन्य स्रोतों से आय” के रूप में माना जाएगा और टैक्स देना होगा। हालांकि, यदि ये गिफ्ट्स करीबी रिश्तेदारों से मिलते हैं, तो उन्हें टैक्स-फ्री माना जाता है।
बचाव का तरीका:
यदि आपको गिफ्ट्स मिल रहे हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि ये 50,000 रुपये से कम हों या करीबी रिश्तेदारों से हों, ताकि टैक्स से बचा जा सके।
कंपनी द्वारा दिए गए गिफ्ट्स पर टैक्स
कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को दीपावली पर उपहार देती हैं, जैसे इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स, वाउचर्स, या गोल्ड कॉइन आदि। इन गिफ्ट्स पर कुछ सीमा तक टैक्स नहीं लगता, लेकिन 5,000 रुपये तक के उपहार टैक्स-फ्री होते हैं। यदि गिफ्ट्स का मूल्य 5,000 रुपये से अधिक है, तो यह राशि ‘सैलरी इनकम’ में जुड़ जाएगी और आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स देना होगा।
बचाव का तरीका:
यदि संभव हो तो कंपनी से यह अनुरोध करें कि गिफ्ट्स की कीमत 5,000 रुपये से अधिक न हो, ताकि इसे टैक्स-फ्री रखा जा सके।
गिफ्ट्स इन काइंड (जैसे, सामान या वाउचर) पर टैक्स
यदि किसी व्यक्ति को वस्त्र, घर की सजावट का सामान, गहने, आदि के रूप में गिफ्ट मिलते हैं और उनका कुल मूल्य 50,000 रुपये से अधिक होता है, तो यह टैक्स के दायरे में आ सकता है।
बचाव का तरीका:
गिफ्ट्स को 50,000 रुपये की सीमा के अंदर ही रखें। कंपनी से वाउचर्स के रूप में गिफ्ट्स लेने पर ध्यान दें, क्योंकि वाउचर पर विशेष परिस्थितियों में टैक्स लागू नहीं होता। प्रोविडेंट फंड या ग्रेच्युटी निवेश के रूप में गिफ्ट्स
कंपनियां कुछ मामलों में कर्मचारियों के पीएफ में योगदान या ग्रेच्युटी के रूप में बोनस देती हैं। यह टैक्स से बचने का अच्छा तरीका है, क्योंकि इन निवेशों पर टैक्स नहीं लगता है। दिवाली पर उपहार और बोनस का आनंद लेते समय, टैक्स से बचने के इन विकल्पों को अपनाकर आप अपने फेस्टिवल का और अधिक लाभ उठा सकते हैं।