राजस्थान पुलिस यूं तो अपराधियों से बहुत सख्ती से निपटने के लिए जानी जाती है फिर चाहे वह आनंद पाल हो या कोई और…। लेकिन बात जब सफेदपोश गिरोह की आती है तो इनके कदम भी ठिठके दिखाई देते हैं। राजस्थान में नकलची गिरोह आए दिन नए से नए मानदंड स्थापित कर रहे हैं। सरकार केवल आश्वासन सरकार हो गई है। राजस्थान नकल माफियों का प्रदेश हो गया है
RPSC Paper Leak: शिक्षक ही निकला वरिष्ठ अध्यापक परीक्षा पेपर लीक का मास्टरमाइंड
चलती बस में स्पीकर से बता रहे उत्तर
नकलचियों को दुस्साहस का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रश्न का उत्तर बताने के लिए बकायदे स्पीकर लगाए गए थे। यह स्पीकर इसलिए लगाए गए थे कि चलती बस में सभी को साफ साफ प्रश्नों के उत्तर सुनाई पड़े और एक साथ सभी लोग पेपर लिख सकें। चलती बस में ही जब प्रश्न नंबर और स्पीकर से उत्तर बताया जा रहा था तो इसी बीच कुछ लोगों को हरकत की भनक लग गई और फिर पुलिस को सूचना दे दी गई।
RPSC Paper Leak: चाय ने चौपट कर दी नकलचियों की योजना
बस में ही लगा दी प्रिंटर मशीन
नकलची गिरोह ने किस तरह से सामूहिक तैयारी की थी इस बात का अंदाजा यूं लगा सकते हैं कि बस में नकलचियों ने प्रिंटर तक लगा रखा था। बस ने जब उदयपुर से सिरोही के लिए चलना शुरू किया तो फिर इन्होंने प्रिंटर से पर्चे निकालकर बांटे और उत्तर भी जारी किया। हालांकि इस बात की जब भनक लगी तो पुलिस ने बस का पीछा करना शुरु किया। उसके बाद पूरी तस्वीर साफ हो गई।
RPSC Paper Leak: हर परीक्षा से पहले 15 लाख में बिक रहा पेपर
बस के पीछे चल रहा था विश्नोई
किसी भी प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए बस के पीछे मुख्य आरोपी सुरेश विश्नोई की गाड़ी चल रही है। इस गाड़ी में विश्नोई के साथ कई और लोग भी थे। यही इस भर्ती परीक्षा का पेपर लीक का मास्टरमाइंड है। विश्नोई खुद सरकारी शिक्षक है और इसने अपने पहचान और रिश्तेदार के दोस्तों को इस परीक्षा का खुलासा करने के लिए चुना। राजस्थान लोकसेवा आयोग की ओर से आयोजित हो रही सीनियर शिक्षक भर्ती परीक्षा में पकड़े गए 44 लोगों में 7 महिलाएं हैं।
RPSC Paper Leak: देश में पहली बार चलती बस में नकल, बस नंबर प्लेट भी निकल फर्जी
फर्जी नंबर प्लेट से चली बस
नकलची गिरोह का इंतजाम कितना बड़ा था इसका अंदाजा इस बात से लगाइए कि बस में एक साथ 40 को बैठाकर परीक्षा केंद्र बना दिया गया और इतना ही नहीं बस पर जो नंबर प्लेट भी लगाई गई वह भी फर्जी लगाई गई। परीक्षा से एक दिन पहले यानि 23 दिसंबर को अभ्यर्थियों को उदयपुर बुलाया गया। यही बैठकर पेपर सॉल्व कराया गया। अलसुबह सभी लोगों को एक बस में बिठाकर जालोर रवाना हुए। इस बस पर फर्जी नंबर प्लेट लगाई गई। तीन लोगों को बस में पेपर सॉल्व कराने और प्रैक्टिस कराने के लिए बिठाया गया।
15 दिन की तैयारी और 15 लाख रेट
सुरेश विश्नोई ने हर एक परीक्षार्थी से 15 लाख रुपए की डील की। इसमें से आधे से अधिक पैसा परीक्षा से पहले और फिर बाकी का पैसा परीक्षा के बाद लिया जाना तय हुआ। सबसे बड़ी बात यह है कि यह पैसा पूरी तरह से कैश में रहा। यानी जिसने दिया और लिया या दो नंबर का पैसा था। विश्नोई ने सभी 100 फीसदी पास कराने की गारंटी ली थी। इतना ही नहीं उसका दावा था कि वह कई परीक्षाओं में ऐसा कर भी चुका है। ऐसे में अब यह मामला ईडी और इनकम टैक्स का भी बनता दिखाई दे रहा है।