अभी हाईटेक पद्धति से खेती कुछ जगहों पर कृषि विज्ञान केन्द्रों के सहयोग से की जा रही है। कृषि मंत्रालय ने लाभकारी पद्धति विकसित करने की ओर कदम बढ़ाया है। इसलिए राजस्थान सहित देश के 30 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में कृषि अभियांत्रिकी निदेशालय स्थापित करने की रूपरेखा तैयार की गई है। कृषि मंत्रालय के सचिव देवेश चतुर्वेदी ने राजस्थान सहित अन्य राज्यों के मुख्य सचिव को निदेशालय का गठन करने के लिए हाल ही में पत्र लिखा है।
निदेशालय बनाने के उद्देश्य
-खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि करना
-श्रम की बचत, लागत में कमी
-गुणवत्ता में सुधार
-पोस्टहार्वेस्ट प्रसंस्करण
विदेश तक जा रहे नई तकनीक सीखने
गुजरात के कच्छ में किसान आधुनिक तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। यहां खजूर, ड्रैगन फ्रूट, अमरूद, केला और आम की फसल ले रहे हैं। किसान खुद को उन्नत करने के लिए अलग-अलग शोध संस्थानों में जाकर खेती सीखते हैं। कई किसान इजराइल और अन्य देशों से खेती तकनीक सीखकर आए हैं। ड्रैगन फ्रूट 2000 पीपीएम तक खारे पानी में भी उगाया जा रहा है। किसान खुशाल ने इसकी पहल की अब महानगरों में फलों की आपूर्ति कर रहे हैं। इसी तरह महाराष्ट्र के जालना और छत्रपति संभाजी नगर जिले में प्रशिक्षण लेकर किसानों ने आधुनिक खेती शुरू की है।
विशेषज्ञों की रिपोर्ट में यह सिफारिश
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि अभियांत्रिकी विभाग ने अध्ययन रिपोर्ट में कृषि अभियांत्रिकी निदेशालय की स्थापना की आवश्यकता बताई है। रिपोर्ट के अनुसार किसानों को जलवायु परिवर्तन सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उपयुक्त कृषि मशीनरी और उपकरणों को बढ़ावा देने के लिए निदेशालय की जरूरत है।
बढ़ती आबादी की जरूरत के लिए खाद्यान्न उत्पादन के लिए बड़े स्तर पर कृषि अभियांत्रिकी की जरूरत है। कटाई के उपरांत करीब 30 प्रतिशत खाद्यान्न नष्ट हो जाते हैं। खेती की लागत भी बढ़ रही है। इसलिए कृषि अभियांत्रिकी निदेशालय बनाने की आवश्यकता है।
-आर.के. अग्रवाल, सेवानिवृत्त, कृषि अतिरिक्त मुख्य अभियंता